इसरो के सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 की सफल लॉन्चिंग, जानिए कैसे रचा गया है इतिहास

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह और दो सह-उपग्रहों को ले जाने वाले एलवी डी2 को श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण किया है। यह इसरो के लिए एक अहम कामयाबी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के दूसरे संस्करण का सफल प्रक्षेपण किया है। इसरो ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी लक्षित कक्षा में स्थापित किया है। एसएसएलवी की पहली परीक्षण उड़ान 9 अगस्त को आंशिक रूप से विफल रही थी क्योंकि रॉकेट अपने उपग्रह पेलोड को उनकी लक्षित कक्षाओं में स्थापित करने में विफल रहा था। इसमें अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOS-07 का वजन 156.3 किलोग्राम का है। भारतीय स्पेस कंपनी स्पेसकिड्स का AzaadiSAT-2 का वजन करीब 8.7 किलोग्राम का है जिसे देश के ग्रामीण इलाकों से आने वाली 750 लड़कियों ने वैज्ञानिकों की मदद से तैयार किया है।

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इसरो का ट्वीटSSLV-D2 ने आज सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से तीन उपग्रहों के साथ उड़ान भरी, जिसमें भारत भर से 750 छात्राओं द्वारा विकसित एक उपग्रह भी शामिल है। अंतरिक्ष एजेंसी ने सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, "मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ। एसएसएलवी-डी2 ने ईओएस-07, जानूस-1 और आजादीसैट-2 को उनकी लक्षित कक्षाओं में स्थापित किया।"

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तीन उपग्रह किए स्थापितकक्षा में स्थापित किए गए तीन उपग्रह में इसरो के EOS-07, अमेरिकी फर्म का Antaris 'Janus-1 और चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज़ की AzaadiSAT-2 शामिल हैं। एसएसएलवी 'लॉन्च-ऑन-डिमांड' के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किग्रा तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है। यह अंतरिक्ष के लिए कम लागत वाली पहुंच प्रदान करता है और कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को समायोजित करने में बेहतरीन तरीके से मदद प्रदान करता है।

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