अब जल्द मोबाइल फोन बताएगा आपकी दवा नकली है या असली, ऐसे होगा इस्तेमाल
Medicines: एक बार सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय की ओर सेविकसित एक पोर्टल (वेबसाइट) पर यूनिक आईडी कोड फीड करके दवा की वास्तविकता की जांच कर सकेंगे और बाद में इसे मोबाइल फोन या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी ट्रैक कर सकेंगे।
अब जल्द मोबाइल फोन बताएगा आपकी दवा नकली है या असली।
- दवा के नकली या असली होने के बारे में बताएगा मोबाइल
- पहले चरण में 300 सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं को किया जाएगा शामिल
- पिछले कुछ सालों में बाजार में नकली और घटिया दवाओं के सामने आए कई मामले
मोबाइल फोन बताएगा आपकी दवा नकली है या असली
सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि केंद्र सरकार नकली और घटिया दवाओं के इस्तेमाल को रोकने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं के लिए 'ट्रैक एंड ट्रेस' सिस्टम शुरू करने की योजना बना रही है। पहले चरण में 300 सबसे अधिक बिकने वाली दवाएं अपने पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट या चिपकाएंगी। प्राइमरी फर्स्ट लेवल प्रोडक्ट पैकेजिंग है, जैसे बोतल, कैन, जार या ट्यूब जिसमें बिक्री योग्य वस्तुएं होती हैं।
पिछले कुछ सालों में बाजार में नकली और घटिया दवाओं के सामने आए कई मामले
100 रुपए प्रति स्ट्रिप से अधिक के एमआरपी के साथ ज्यादा बिकने वाली एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, दर्द निवारक गोलियां और एंटी-एलर्जी शामिल होने की उम्मीद है। ये आइडिया एक दशक पहले लाया गया था, लेकिन घरेलू फार्मा उद्योग में तैयारियों की कमी के कारण रोक दिया गया था। यहां तक कि निर्यात के लिए भी ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म को अगले साल अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। पिछले कुछ सालों में बाजार में नकली और घटिया दवाओं के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें से कुछ को राज्य दवा नियामकों ने जब्त कर लिया है।
हाल ही में सामने आए प्रमुख मामलों में एबॉट ने कहा कि इसकी थायरॉयड दवा थायरोनोर्म जिसे तेलंगाना ड्रग्स अथॉरिटी की ओर से मानक गुणवत्ता के नहीं के रूप में लिस्ट किया गया था, नकली था और इसके द्वारा निर्मित या विपणन नहीं किया गया था। एक अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश के बद्दी में ग्लेनमार्क की बल्ड प्रेशर की मेडिसिन तेलमा-एच के नकली ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 10 फीसदी चिकित्सा उत्पाद घटिया या नकली हैं, हालांकि ये दुनिया के हर क्षेत्र में पाए जा सकते हैं।
केंद्र सरकार ने इसी साल जून महीने में सभी फार्मा कंपनियों को अपने प्राइमरी या सेकेंडरी पैकेज लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड चिपकाने के लिए कहा था, जो प्रमाणीकरण की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों के साथ सुपाठ्य डेटा या जानकारी संग्रहीत करते हैं। एक बार सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय की ओर सेविकसित एक पोर्टल (वेबसाइट) पर यूनिक आईडी कोड फीड करके दवा की वास्तविकता की जांच कर सकेंगे और बाद में इसे मोबाइल फोन या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी ट्रैक कर सकेंगे। सूत्रों ने कहा कि पूरे उद्योग के लिए सिंगल बारकोड के रूप में एक केंद्रीय डेटाबेस एजेंसी स्थापित करने सहित कई ऑपशन्स का अध्ययन किया जा रहा है और इसे लागू करने में कई हफ्ते लग सकते हैं।
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