मोबाइल चलाने से 2030 तक भारत का हर तीसरा बच्चा होगा इस बीमारी का शिकार, एक्सपर्ट का दावा

Screen Time Impact On Children: हर साल 0.8 प्रतिशत की तेजी पर आधारित हमारी रिपोर्ट बताती है कि शहरी बच्चों में निकट दृष्टि दोष के मामले 2030 में 31.89 प्रतिशत, 2040 में 40 प्रतिशत और 2050 में 48.1 प्रतिशत तक बढ़ जाएंगे। इसका मतलब है कि हर दो बच्चों में से एक भारत में अगले 25 वर्षों में मायोपिया से पीड़ित होगा।

Screen Time Impact On Children

Screen Time Impact On Children: नेत्र चिकित्सकों का मानना है कि गतिहीन जीवनशैली और स्क्रीन का लंबे समय तक उपयोग करने से 2030 तक शहरी भारत में 5-15 वर्ष की आयु के एक-तिहाई बच्चे मायोपिया से पीड़ित होंगे। मायोपिया को आमतौर पर निकट-दृष्टि दोष के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां वस्तुएं स्पष्ट रूप से नजर नहीं आती हैं।

स्वास्थ्य मुद्दा बना ज्यादा स्क्रीन टाइम

यह दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दा बन गया है। दुनिया भर में 2050 की शुरुआत में हर दो में से एक व्यक्ति निकट दृष्टि दोष का शिकार हो जाएगा, बच्चों और युवा वयस्कों में यह बढ़ रहा है। मायोपिया जागरूकता सप्ताह में विशेषज्ञों ने कहा, ''मायोपिया की दर वास्तव में विश्व स्तर पर बढ़ रही है, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत में भी शहरी बच्चों के बीच मायोपिया के प्रसार में उल्लेखनीय वृद्धि का सबूत है।''

तीन गुना बढ़ मायोपिया के मामले

अध्ययनों से पता चलता है कि 1999 से 2019 तक 20 साल में भारत के शहरी बच्चों में मायोपिया के मामले क्रमशः 4.44 प्रतिशत से 21.15 प्रतिशत तक तीन गुना बढ़ गए हैं। अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल, ठाणे मुंबई के मोतियाबिंद सर्जन डॉ. स्मिट एम बावरिया ने आईएएनएस को बताया, ''हम पिछले कुछ वर्षों में शहरी बच्चों में मायोपिया के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि देख रहे हैं।
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