5G रेडियो वैव्स की कमी से बचने के लिए 6GHz बैंड में टेलीकॉम स्पेक्ट्रम: COAI

5G Radio Waves: सीओएआई के महानिदेशक एस. पी. कोचर ने कहा कि भारत को ‘आईएमटी-2020’ के अंतरराष्ट्रीय मानक को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 2 गीगाहर्ट्ज ‘मिड-बैंड’ स्पेक्ट्रम की जरूरत है, ताकि घनी आबादी वाले शहरों में ‘डाउनलिंक’ पर 100 मेगाबिट प्रति सेकेंड (एमबीपीएस) और ‘अपलिंक’ पर 50 एमबीपीएस की डेटा दर सुनिश्चित की जा सके।

अल्ट्रा-लो लेटेंसी 5जी सर्विस।

5G Radio Waves: उद्योग संगठन के निकाय ‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (सीओएआई) ने मंगलवार को कहा कि 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में दूरसंचार स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं होने से उच्च गति वाली 5जी सेवाओं के लिए रेडियो तरंगों की कमी आ सकती है। देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था और उभरती प्रौद्योगिकियों, खासकर कृत्रिम मेधा (एआई) के विकास के लिए 5G सेवाएं प्रमुख चालक हैं।

सीओएआई के महानिदेशक एस. पी. कोचर ने वैश्विक दूरसंचार उद्योग जीएसएमए का हवाला देते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में बताया कि भारत को ‘आईएमटी-2020’ के अंतरराष्ट्रीय मानक को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 2 गीगाहर्ट्ज ‘मिड-बैंड’ स्पेक्ट्रम की जरूरत है, ताकि घनी आबादी वाले शहरों में ‘डाउनलिंक’ पर 100 मेगाबिट प्रति सेकेंड (एमबीपीएस) और ‘अपलिंक’ पर 50 एमबीपीएस की डेटा दर सुनिश्चित की जा सके।

कोचर ने कहा, ‘‘ जबकि सरकार 5जी/6जी उपयोग के लिए सी-बैंड, यानी 3,670-4,000 मेगाहर्ट्ज में स्पेक्ट्रम खाली करने पर विचार कर रही है। हालांकि, ‘मिड-बैंड’ में आईएमटी (5जी/6जी) के लिए आवश्यक 2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम तक पहुंचने के लिए यह पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए हम इस तथ्य पर जोर देना चाहते हैं कि भारत में मोबाइल संचार के लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध 1,200 मेगाहर्ट्ज का सबसे इष्टतम आवंटन किया जाए, ताकि ‘मिड-बैंड’ में इस महत्वपूर्ण 2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को प्राप्त किया जा सके।’’

End Of Feed