डिजिटल अरेस्ट से 7 करोड़ की ठगी, जानें क्या है साइबर फ्रॉड का नया तरीका और क्यों है इतना खतरनाक

7 crore digital arrest fraud: उद्योगपति ओसवाल से सीबीआई अधिकारी बनकर संपर्क किया और उनसे 7 करोड़ रुपये ठगे गए। उन्हें एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया और ऑनलाइन गिरफ्तारी की धमकी दी गई इसके बाद करोड़ों रुपये की ठगी की अंजाम दिया।

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7 crore digital arrest fraud: वर्धमान समूह के चेयरमैन एसपी ओसवाल के साथ डिजिटल अरेस्ट फ्राड हुआ है। को साइबर जालसाजों ने ओसवाल के साथ साइबर धोखाधड़ी कर उनके बैंक अकाउंट से 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए। बता दें कि डिजिटल अरेस्ट के द्वारा ठगी का यह पहला मामला नही है इससे पहले भी कई लोगों ने इसका शिकार होकर लाखों रुपये गंवाएं हैं। यहां हम आपको डिजिटल अरेस्ट के बारे में बता रहे हैं। साथ ही इससे बचने का तरीका भी जानेंगे।

एसपी ओसवाल के साथ क्या हुआ?

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जालसाजों ने उद्योगपति ओसवाल से सीबीआई अधिकारी बनकर संपर्क किया। उन्होंने उन्हें एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया और ऑनलाइन गिरफ्तारी की धमकी दी। बाद में जालसाजों ने कंपनी के मालिक से 7 करोड़ रुपये की ठगी की। यह बड़ी रकम कंपनी के विभिन्न बैंक अकाउंट से ट्रांसफर की गई।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

"डिजिटल गिरफ्तारी" एक शब्द है जिसका उपयोग साइबर स्कैम के लिए किया जाता है। जहां स्कैमर्स ठगी के लिए फर्जी सरकारी या बैंक अधिकारी बनकर लोगों को पैसे देने के लिए धोखा देते हैं। इसमें किसी व्यक्ति की डिजिटल एक्टिविटी डेटा या डिवाइस को बिना उनकी जानकारी या सहमति के सीमित या कंट्रोल किया जाता है। यह कई तरीकों से हो सकता है। जैसे कि फेक कॉल, धमकाना, रैंसमवेयर, अवैध डेटा एक्सेस, फिशिंग अटैक या किसी तरह से झांसे में लेना।

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