Attari Wagah Border: अटारी-वाघा बॉर्डर जाकर इस बार 15 अगस्त को बनाएं स्पेशल, जानें-बीटिंग द रिट्रीट की टाइमिंग से लेकर एंट्री फीस समेत सभी जरूरी बातें
Attari Wagah Border: अटारी-वाघा बॉर्डर के सामने हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का बॉर्डर होता है। अगर आप इस 15 अगस्त पर कहीं जाने के प्लान कर रहे हैं तो आप अटारी-वाघा बॉर्डर जाकर अपना 15 अगस्त और भी ज्यादा स्पेशल बना सकते हैं।
Attari Wagah Border: अटारी-वाघा बॉर्डर जाकर इस बार 15 अगस्त को बनाएं स्पेशल।
Attari Wagah Border: देश में हर साल 15 अगस्त (15 August) को बड़े ही धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाया जाता है। इस खास मौके पर लोग भारत-पाकिस्तान बॉर्डर (India-Pakistan Border) पर जाकर इसका जश्न मनाते हैं। खासतौर से लोग 15 अगस्त के दिन पंजाब के अमृतसर (Amritsar) के पास स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर (Attari Wagah Border) पर जाते हैं। अटारी-वाघा बॉर्डर के सामने हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) का बॉर्डर होता है। अटारी-वाघा बॉर्डर से अमृतसर की दूरी 28 किलोमीटर है। अमृतसर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से जहां इसकी दूरी 30 किलोमीटर है, तो वहीं अमृतसर हवाई अड्डे से अटारी-वाघा बॉर्डर 35 किलोमीटर दूर है। अगर आप इस 15 अगस्त पर कहीं घूमने (Travel) का प्लान कर रहे हैं तो आप अटारी-वाघा बॉर्डर जाकर अपना 15 अगस्त (Independence Day 2023) और भी ज्यादा स्पेशल बना सकते हैं। आज इसी को लेकर हम आपको अटारी-वाघा बॉर्डर के बारे में हर वह चीज बताएंगे, जो आपके जानने के लिए बेहद जरूरी है।
हर दिन अटारी-वाघा बॉर्डर पर होती है बीटिंग द रिट्रीटअटारी-वाघा बॉर्डर पर देशभक्ति का अलग ही मजा है। वैसे तो हर दिन अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग द रिट्रीट होती है, लेकिन 15 अगस्त के दिन अटारी-वाघा बॉर्डर पर खुद अपनी आंखों से देखने का मजा ही कुछ और होता है। बीटिंग द रिट्रीट के दौरान औपचारिक रूप से बॉर्डर को बंद किया जाता है और दोनों देश के झंडे को सम्मानपूर्वक उतारा जाता है। बीटिंग द रिट्रीट हर रोज शाम में सूर्यास्त से पहले आयोजित होता है।
बीटिंग द रिट्रीट में उतारे जाते हैं दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम की शुरुआत परेड से होती है और ये दोनों देशों के सैनिकों द्वारा किया जाता है। भारतीय सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स के सैनिक अपने पैरों को जितना संभव हो उतना ऊपर उठाकर मार्च करते हैं। बीटिंग द रिट्रीट में दोनों देशों के सैनिक एक लय में मार्च करते हैं और अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को उतारते हैं। बीटिंग द रिट्रीट में देशभक्ति के नारे लगाए जाते हैं।
Attari Wagah Border
तस्वीर साभार : iStock
बीटिंग द रिट्रीट में आते हैं विदेशी नागरिकबीटिंग द रिट्रीट को देखने के लिए विदेशी नागरिकों समेत देश के हजारों लोग अटारी-वाघा बॉर्डर पर आते हैं। कार्यक्रम समाप्त होने पर सभी सैनिकों की जय-जयकार करते हैं और राष्ट्रगान गाते हैं। साथ ही वहां आए लोग 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' के ऊंचे नारों से उनका उत्साहवर्धन करते हैं।
कहां पर हैं अटारी-वाघा बॉर्डर? (Where is Attari-Wagah Border located?)अटारी-वाघा बॉर्डर ग्रैंड ट्रंक रोड पर है। वाघा पाकिस्तान में लाहौर के रास्ते में एक गांव है। पाकिस्तान के साथ वाघा सीमा भारत में अमृतसर से लगभग 30 किलोमीटर दूर अटारी गांव के पास है। अटारी और वाघा बॉर्डर में कोई अंतर नहीं है।
Beating Retreat Ceremony
तस्वीर साभार : iStock
अटारी-वाघा बॉर्डर की टाइमिंग और एंट्री फीस (Attari-Wagah Border Timings and Entry Fees)अटारी-वाघा बॉर्डर पर जाने का समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक है। समारोह का समय शाम 4.15 बजे (सर्दियों में) और शाम 5.15 बजे (गर्मियों में) है। एंट्री लगभग 2-3 बजे शुरू होती है। सीटें पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर उपलब्ध होती हैं। आपको यहां कोई पास या टिकट खरीदने की आवश्यकता नहीं है। यहां आना फ्री है। आप यहां साल के किसी भी दिन आ सकते हैं। हालांकि जब दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूरर्ण होते हैं तो प्रवेश बंद कर दिया जाता है।
अटारी-वाघा बॉर्डर जाने का क्या है बढ़िया समय (Best time to visit Attari-Wagah Border Amritsar)सर्दियों के महीनों में अटारी-वाघा बॉर्डर अमृतसर की यात्रा की योजना बनाना सबसे अच्छा है। सर्दी नवंबर के आसपास शुरू होती है और मार्च तक रहती है। सर्दियों में पूरे दिन मौसम आरामदायक बना हुआ रहता है।
Wagah Border
तस्वीर साभार : iStock
अटारी-वाघा बॉर्डर का इतिहास (History of Attari-Wagah Border Amritsar)अटारी-वाघा सीमा का इतिहास उस समय का है, जब 1947 में ब्रिटिश शासकों ने भारत को आजादी दे दी थी। ये तब अस्तित्व में आया जब देश हिंदू-बहुल भारत और मुस्लिम-बहुल पाकिस्तान में विभाजित हो गया। दोनों देशों के बीच संबंध पूरे समय तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन बीटिंग द रिट्रीट समारोह 1959 से चलन में है।
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TNN लाइफस्टाइल डेस्क author
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