शांति की जगह लाउडस्पीकर सुकून की जगह शराब, जानें ट्रेकर्स के लिए कैसे त्रासदी है दिसंबर
Best Time For Snow Treks: एडवेंचर में गहरी दिलचस्पी रखने वाले पर्यटक ट्रेकिंग करना बेहद पसंद करते हैं। ये बात सुनने में आपको थोड़ी अटपटी लग सकती है लेकिन, अगर आप बर्फ में ट्रेकिंग करना चाहते हैं, तो दिसंबर के महीने में ऐसा करने से बचें इसकी बजाए आप जनवरी और फरवरी का महीना चुन सकते हैं।

Best Time For Snow Treks
Trekking Trails: अधिकांश ट्रेकर्स के लिए, दिसंबर यात्रा करने का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि वह दिसंबर को सर्दियों का पर्याय मानते हैं। क्रिसमस और नए साल के दौरान छुट्टियां भी होती हैं इसके अलावा वह साल का अंत शानदार छुट्टियों से करना चाहते हैं। फिर भी, अगर आप इसके बारे में गहराई से सोचें तो पाएंगे कि दिसंबर के महीने में ट्रेकिंग के दौरान आपको ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
अगर आप ट्रेकिंग के लिए दिसंबर का चुनाव करते हैं तो फिर- 1) साल के इस समय में फ्लाइट का किराया बहुत ज्यादा होता है (भले ही आप पहले से फ्लाइट बुकिंग कर लें)। 2) होटल अपने नियमित किराए से लगभग दोगुना शुल्क लेते हैं। 3) आप जिस भी जगह पर जाते हैं, वहां भीड़ होती है, जिसमें ट्रेकिंग ट्रेल्स भी शामिल हैं।
तीसरे पॉइंट पर थोड़ा विस्तार से बात करते हैं। इंडिया हाइक्स द्वारा किए गए एक रिचर्स से पता चलता है कि मई और जून के गर्मियों के महीनों की तुलना में दिसंबर में ज्यादा ट्रेकर्स पहाड़ों का रुख करते हैं। दिसंबर में भीड़ इतनी ज़्यादा होती है जिसका ग्राफ आपको पूरी तरह से चौंका देगा।
ऊपर दिखाए गए ग्राफ में आप दिसंबर में भीड़ में भारी वृद्धि को साफ-साफ देख सकते हैं। जनवरी और फरवरी के महीने में ये भीड़ बेहद कम हो जाती है। सीधे और सरल शब्दों में समझें तो दिसंबर में ट्रेकिंग का जमावड़ा होता है जो ट्रेकर्स के लिए सबसे बड़ी त्रासदी हो सकती है।
हद से ज्यादा भीड़ ट्रेकिंग के मजे और शांति को पूरी तरह से खत्म कर देती है। जहां शांति और सन्नाटा होना चाहिए, वहां आपको लाउडस्पीकर पर तेज संगीत सुनाई देता है। जहां शांत रातें होनी चाहिए, वहां आपको कैम्पफायर, शराब और डिस्को नाइट जैसा माहौल मिलता है। कतारें लंबी होती हैं भीड़ ज्यादा होती है, और शिखर पर सैकड़ों लोग खड़े होते हैं। यह शिखर अनुभव आपको दुखी भी कर सकता है।
आपको सच्चाई पता होनी चाहिए जो यह है कि दिसंबर नहीं जनवरी और फरवरी (मार्च के मध्य तक) असली बर्फबारी का मौसम होता है। दिसंबर सर्दियों की शुरुआत होती है। सर्दियों की पहली बर्फबारी भले ही दिसंबर में हो लेकिन, ये पूरा बर्फबारी का महीना नहीं है।
पहाड़ों पर असली सर्दी का मजा जनवरी और फरवरी में ही आता है। हिमालयी ट्रेक पर बर्फ की एक शानदार चादर बन जाती है। यह बर्फ जमाव आपको एक सच्चा बर्फीला अनुभव प्रदान करता है। यात्रा के दौरान आपको परी-कथा जैसी बर्फबारी देखने को मिलती है। पेड़ों की टहनियां खूबसूरत बर्फ से लदी होती हैं। पेड़ों की चोटियां बर्फ से ढकी होती हैं। हिमालयी ट्रेक की ज्यादातर सर्दियों की तस्वीरें जो आप देखते हैं, वे हिमपात के मौसम में ली जाती हैं ना कि दिसंबर में।
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