Indian Trains: भारतीय रेल की शान हैं ये स्पेशल ट्रेनें, मिलती हैं विदेशों वाली सुविधाएं, गजब है इनके नाम की कहानी, जानें कैसे हुई प्लानिंग
How Trains Names are made or given in India: भारत सरकार द्वारा देशभर में कई ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। इनमें कई प्रीमियम ट्रेन्स भी है जिनमें हर किसी का ट्रैवल करने का सपना होता है। देश की प्रीमियम ट्रेनों की बात की जाए तो इनमें राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, तेजस, वंदे भारत और हमसफर का नाम शामिल है। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि इन ट्रेनों का नाम कैसे रखा जाता है और क्या है इसके पीछे की वजह।
How Trains Names are made or given in India: भारतीय रेल एशिया का दूसरा और विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारत में रोजाना ट्रेन से करोड़ों यात्री ट्रैवल करते हैं। भारतीय रेल देश की लाइफ लाइन मानी जाती है। सरकार यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए देश भर में कई ट्रेन्स चलाती है। इनमें कुछ प्रीमियम ट्रेन्स भी है, जिनसे सफर करना हर इंसान का सपना होता है। देश की प्रीमियम ट्रेनों में राजधानी, शताब्दी, वंदे भारत, हमसफर, दूरंतों, तेजस के नाम शामिल हैं। इन ट्रेनों का किराया बाकि ट्रेनों की तुलना में थोड़ा ज्यादा जरूर होता है लेकिन इनसे सफर करना अपने आपन में एक अलग अनुभव कराता है। आरामदायक सफर के लिए लोग राजधानी, शताब्दी, वंदे भारत, हमसफर, दूरंतों जैसी ट्रेनों से सफर करते हैं। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि राजधानी, शताब्दी, वंदे भारत, हमसफर, दूरंतों जैसी ट्रेनों का संचालन सरकार ने क्यों शुरू किया और क्या है इन ट्रेनों के नाम के पीछे की वजह। आज इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आखिर इन ट्रेनों को चलाने के पीछे की वजह क्या है और सरकार ने ऐसे नाम क्यों रखें।
ट्रेनों के नाम कैसे तय किए जाते हैं
देशभर में भारत सरकार द्वारा लाखों ट्रेनों का संचालन किया जाता है। इनमें पैंसेज, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट से लेकर प्रीमियम ट्रेन्स शामिल हैं। हर ट्रेन के कुछ नंबर और नाम होते हैं। ऐसे में ये बड़ा सवाल उठता है कि ट्रेनों के नाम और नंबर कैसे तय किए जाते हैं। बता दें कि ट्रेनें जहां से शुरू होती हैं और जहां तक जाती हैं,उसके आधार पर ट्रेनों के नाम तय किए जाते हैं। इसके अलावा लोकेशन और धार्मिक महत्व को भी ध्यान में रखा जाता है। वहीं खास जगहों पर विश्व धरोहर को ध्यान में रखा जाता है। आसान भाषा में समझाएं तो जैसे काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस। इस ट्रेन का नाम धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए रखा गया है। जैसे पटना एक्सप्रेस इस ट्रेन का नाम जगह को ध्यान में रखा गया है। ट्रेन के नाम इस तरह तय किए जाते हैं। नीचे जानें प्रीमियम ट्रेन्स के नाम की रोचक कहानी।
1. राजधानी एक्सप्रेस - Rajdhani Express
राजधानी ट्रेन के नाम से ही पता चलता है कि यह देश की राजधानी को अन्य राज्यों की राजधानी से जोड़ती है। राजधानी एक्सप्रेस प्रीमियम ट्रेन में से एक है। इस ट्रेन के सभी कोच एसी के होते हैं। इस ट्रेन से ट्रैवल करने वाले यात्रियों को खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
कब चलाई गई थी पहली राजधानी
देश की पहली राजधानी एक्सप्रेस हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस है। यह ट्रेन हावड़ा से नई दिल्ली के बीच सन 1969 मे चलाई गई थी। वर्तमान में लगभग 15 जोड़ी से ज्यादा राजधानी एक्सप्रेस गाड़ियां चलायी जा रही हैं।
कितनी होती है स्पीड
इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा है और औसत स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है।
कितना होता है किराया
ट्रेन के फेयर की बात करें तो राजधानी एक्सप्रेस का किराया बाकि सामान्य ट्रेनों की तुलना में थोड़ा ज्यादा होता है।
2. शताब्दी एक्सप्रेस - Shatabdi Express
शताब्दी एक्सप्रेस भी देश की प्रीमियम ट्रेनों की लिस्ट में शुमार है। इस ट्रेन की शुरुआत साल 1989 में हुई थी। इस ट्रेन के नाम के पीछे काफी रोचक इतिहास है। दरअसल देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 100वें जन्मोत्सव के मौके पर इसका नाम रखा गया था। शताब्दी का मतलब होता है 100 साल। इसलिए तत्कालीन नेहरु सरकार ने इस ट्रेन की शुरुआत की थी। आज देशभर में 20 जोड़ी से ज्यादा शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन भारतीय रेल द्वारा किया जा रहा है।
किन रूट्स पर चलती है शताब्दी
शताब्दी एक्सप्रेस कम दूरी वाले रूट्स पर चलाई जाती है। आमतौर पर 400 से 500 किलोमीटर की दूरी पर चलाई जाती है। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड है 160 किलोमीटर प्रति घंटा।
क्या मिलती है सुविधाएं
सुविधाओं की बात करें तो इस ट्रेन में यात्रियों को एसी की सुविधा के साथ नाश्ता और पानी भी दिया जाता है। कॉफी और चाय की भी सुविधा उपलब्ध होती है।
क्यों होते हैं लाल और नीले रंग के डिब्बे
शताब्दी एक्सप्रेस में ज्यादातर लाल और नीले रंग के डिब्बे लगाए जाते हैं। इसके पीछे की वजह है डिब्बों का हल्का होना। ये डिब्बे अल्युमिनियम से बने होते हैं इस वजह से ये बाकी ट्रेन्स के डिब्बों की तुलना में काफी हल्के होते हैं। इस ट्रेन के कोच को साल 2000 में जर्मनी से लाया गया था।
3. दुरंतो एक्सप्रेस
भारतीय रेल देशभर में कई सुपरफास्ट ट्रेनें चला रही है। इन्हीं में से एक है दुरंतो एक्सप्रेस। दुरंतो नाम एक बंगाली शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है बिना रूके मतलब रेस्टलेस।
खास होता है ट्रेन
दुरंतों एक्सप्रेस का रंग भी बाकी ट्रेनों की तुलना में काफी खास है। इस ट्रेन को पीले और हरे रंग के मिश्रण के साथ रंगा गया है। जो फूल और पक्षियों को दर्शाते हैं।
कब चली थी पहली दुरंतो
पहली दुरंतो एक्सप्रेस साल 2009 में नई दिल्ली से सियालदह रेलवे स्टेशन के बीच दौड़ी थी। इसके बाद इस ट्रेन को अन्य शहरों से जोड़ा गया था। यह ट्रेन यात्रा को सुगम बनाती है। मौजूदा वक्त में देश भर में दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों की 26 जोड़ी यानि (52 ट्रेनें) चल रही हैं।
क्या मिलती हैं सुविधाएं
इस ट्रेन के यात्रियों को खाने-पीने की सुविधा मिलती है। साथ ही कम समय ये गंतव्य तक पहुंचाने का काम करती है।
ट्रेन की स्पीड
इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड है 140 किलोमीटर प्रति घंटा है।
4. गरीब रथ एक्सप्रेस
कब हुई थी गरीब रथ की शुरुआत
भारतीय रेलवे अपने यात्रियों का बेहद खास ध्यान रखने की कोशिश करती हैं। यात्रियों को ध्यान में रखते हुए रेलवे समय-समय पर कुछ नया लेकर आते रहती है। सरकार ने ऐसा ही बदलाव साल 2006 में किया था। भारतीय रेल ने गरीब रथ ट्रेन की शुरुआत की थी। इस ट्रेन को शुरू करने का उद्देश्य था आम लोगों को कम किराए में 3rd एसी का सफर करवाना था। इसे तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शुरू करवाया था।
कब चली थी पहली गरीब रथ
पहली 'गरीब रथ' एक्सप्रेस का संचालन बिहार के सहरसा से अमृतसर, पंजाब के बीच किया गया था। बाद में इस ट्रेन को अन्य रूटों पर भी चलाया गया था। पूरे भारत में अभी 26 जोड़ी से ज्यादा गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं।
क्या होती है सुविधाएं
गरीब रथ एक्सप्रेस की सभी कोचें एसी थ्री-टियर के होते हैं। इसका किराया अन्य ट्रेनों की 3AC की तुलना में काफी कम होता है। इसके 3A कोच में 18 लोअर बर्थ, 18 मिडिल बर्थ, 18 अपर बर्थ, 9 साइड लोअर, 9 साइड मिडिल और 9 साइड अपर बर्थ होती हैं।
कितनी होती है रफ्तार
गरीब रथ एक्सप्रेस की औसत गति लगभग 81 किमी/घंटा है, जबकि इनकी अधिकतम गति 140 किमी/घंटा होती है।
5. हमसफर एक्सप्रेस
भारतीय रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों की लिस्ट में हमसफर एक्सप्रेस का नाम भी शामिल है। हमसफर एक्सप्रेस की शुरुआत साल 2016 में 16 दिसंबर को हुआ था। हमसफर एक्सप्रेस CCTV, GPS बेस्ट पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम, फायर एंड स्मोक डिटेक्शन और सुपरविजन सिस्टम से लैस है।
कहां से कहां तक चली थी पहली हमसफर
पहला हमसफ़र ट्रेन आनंद विहार और गोरखपुर के बीच चलाया गया था। देशभर में इस वक्त 68 से ज्यादा हमसफर एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही है।
क्या मिलती हैं सुविधाएं
हमसफर एक्सप्रेस का हर कोच ही खास तरह से डिजाइन किया गया है। इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखते हुए हर केबिन में एक कूड़ेदान को रखा गया। ताकि ट्रेन को गंदगी से बचाया जा सके। ट्रेन पूरी तरह से वातानुकूलित है। इस ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फायर अलार्म सिस्टम भी लगाया गया है। ये फायर अलार्म सिस्टम किसी तरह का धुंआ डिडेक्ट होने पर बजने लगता है जिससे दुर्घटना को रोका जा सकता है। ट्रेन में कॉफी वेंडिंग मशीन के साथ-साथ खाना गर्म करने के लिए भी मशीन दी गई है। वहीं ट्रेन के हर कोच में 6 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं।
6. तेजस एक्सप्रेस
देश की पहली प्राइवेट ट्रेन 'तेजस एक्सप्रेस'की शुरूआत 24 मई 2017 को हुई थी। पहली बार यह ट्रेन मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से गोवा के करमाली के बीच चलाई गई थी। इसके बाद धीरे धीरे इसे बाकि अन्य रूटों पर भी शुरू किया गया। यह देश की सबसे प्रीमियम ट्रेन्स में से एक है। फ्लाइट की तरह ही तेजस एक्सप्रेस में भी एयर होस्टेस होती हैं। तेजस एक्सप्रेस में एग्जीक्यूटिव चेयर क्लास और एसी चेयर कार की सुविधा उपलब्ध है। देश में कुल 4 से ज्यादा तेजस एक्सप्रेस चलाए जा रहे हैं।
क्या मिलती है सुविधाएं
तेजस ट्रेन में यात्रियों को मुफ्त 25 लाख रुपए का रेल यात्रा बीमा दिया जाता है। तेजस एक्सप्रेस में खास किस्म के ऑटोमैटिक दरवाजे, अटेंडेंट बटन, सीट के ऊपर फ्लैश लाइट, गैंग वे पर हाई क्वालिटी कैमरे दिए गए हैं। ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के लिए मूविंग टॉकीज की सुविधा भी दी जाती है। साथ ही यात्रियों को गुड क्वालिटी फ़ूड सर्व होता है। तेजस ट्रेन में खाना, नाश्ता और पेय जल फ्री है।
कितना होता है किराया
किराए की बात करें तो तेजस एक्सप्रेस का किराया बाकी ट्रेन्स की तुलना में काफी ज्यादा होता है। इसमें डायनामिक फेयर सिस्टम लागू है। एसी चेयर कार के किराए की बात करें तो इसका किराया ₹1,125 होता है जिसमें (बेस फेयर ₹895 + ₹45 जीएसटी + ₹185 कैटरिंग चार्ज) होता है। एग्जिक्यूटिव चेयर कार की बात करें तो इसका कुल किराया ₹2,310 (बेस फेयर ₹895 + ₹99 जीएसटी + ₹245 कैटरिंग चार्ज) होता है।
7. वंदे भारत एक्सप्रेस
वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत 15 फरवरी 2019 को हुई थी। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन नई दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाई गई थी। यह आत्मनिर्भरता आधुनिकता और यात्री सुविधाओं पर भारत के बढ़ते ध्यान का प्रतीक हैं। वंदे भारत ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी है। यह ट्रेन बलेट ट्रेन की स्पीड से चलने वाली ट्रेन है। वन्दे भारत ट्रेन का निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जाता है। देशभर में कुल 104 वंदे भारत ट्रेनें संचालित हैं।
क्या है वंदे भारत की खासियत
यह ट्रेन देश की पहली स्वदेशी ट्रेन है। यह गंतव्य तक यात्रियों को पहुंचाने में काफी कम समय लेती है। इसकी रफ़्तार बहुत ही कम समय में160 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 200 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाती है। वंदे भारत में अलग से इंजन का कोच नहीं है बल्कि मेट्रो ट्रेन की तरह इसमें एकीकृत इंजन है। ट्रेन में ऑटोमेटिक दरवाजे लगे हैं। ट्रेन के सभी कोच वतानुकुलिन है। ट्रेन को पूरी तरह से ऑनबोर्ड वाईफाई की सुविधा से लैस बनाया है। इसके साथ ही सीट के नीचे मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग प्वाइंट दिया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर ट्रेन के हर डिब्बे में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। ट्रेन के सभी कोच में चेयर कार है।
क्या मिलती है सुविधाएं
वंदे भारत के यात्रियों को खाना, पानी, चाय और कॉफी फ्री में दी जाती है। इसके साथ ही लंबे रूट पर खाना भी फ्री दिया जाता है।
Disclaimer: स्टोरी के फैक्ट्स इंटरनेट पर मौजूद आंकड़ों से लिए गए हैं। टाइम्सनाउ नवभारत इनके पूरी तरह सही होने का दावा नहीं करता है।
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