Kailash Mansarovar Yatra: 25 दिन का लगता है समय, इतना होगा खर्च, जानें यात्रा से जुड़ी हर जानकारी
Kailash Mansarovar Yatra: तिब्बत के पश्चिमी हिस्से में स्थित कैलाश पर्वत को दुनिया का सबसे पवित्र पर्वत माना जाता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा हिन्दुओं के अलावा जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी बेहद खास होती है। कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़ी हर छोटी से छोटी जानकारी आप यहां डिटेल में जान सकते हैं।
Kailash Mansarovar Yatra cost from India
Kailash Mansarovar Yatra: अत्यंत धार्मिक और ऐतिहासिक यात्रा के रूप में कैलाश मानसरोवर यात्रा को गिना जाता है। भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल गर्मी के मौसम से फिर से शुरू हो जाएगी। कैलाश मानसरोवर यात्रा से पहले ये जानना बेहद जरूरी है कि फिलहाल कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है। ऐसे में यहां जाने के लिए चीन की परमिशन लेना अनिवार्य होता है। तनातनी से पहले की बात बताएं तो 2020 से पहले हर साल तकरीबन 50 हजार श्रद्धालु भारत और नेपाल के रास्ते इस धार्मिक यात्रा पर जाते थे। हिन्दुओं के अलावा जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस यात्रा का विशेष महत्व है।
कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता
समुद्र तल से कैलाश मानसरोवर की ऊंचाई तकरीबन 22 हजार फीट है। उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर 65 किलोमीटर दूर है। सिक्किम के नाथुला से इसकी दूरी 802 किलोमीटर है वहीं भारतीयों के लिए कैलाश मानसरोवर जाने का तीसरा रास्ता नेपाल की राजधानी काठमांडू से है जिसकी दूरी तकरीबन 500 किलोमीटर है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा खर्च
कैलाश मानसरोवर यात्रा में 25 दिन का समय लगता है जिसमें 2 से 3 लाख तक का खर्चा आ सकता है। KMVN को इसके लिए 32 हजार रुपए फीस देनी होती है वहीं 2400 रुपए चीनी वीजा शुल्क होता है। बता दें कि 100 प्रतिशत फिट होने पर ही आप ये यात्रा कर सकते हैं।
यात्रा से जुड़ी जरूरी जानकारी
यात्रा का समय जून से सिंतबर के बीच होता है। यात्रा पर जाने के लिए न्यूनतक उम्र 18 वहीं अधिकतम उम्र 70 साल हो सकती है। यात्रा से पहले यात्रियों को 3 दिन दिल्ली में ट्रेनिंग दी जाती है।
जरूरी डाक्युमेंट्स
पासपोर्ट, वीजा, एड्रेस प्रुफ, पासपोर्ट साइज फोटो के साथ-साथ आपके पास मेडिलक सेर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। इन जरूरी डाक्युमेंट्स के बिना यात्रा कर पाना संभव नहीं है।
कैलाश पर्वत से जुड़ी मान्यता
कैलाश पर्वत हिंदुओं के लिए बेहद पवित्र जगह है। मान्यता है कि भगवान शिव पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर ही निवास करते हैं। जैन धर्म में मान्यता है कि भगवान ऋषभ देव को यहीं निर्वाण मिला था वहीं बौद्ध धर्म में इसे ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु बताया गया है।
अब तक कोई चढ़ नहीं सका
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर चढ़ नहीं सका है। हालांकि, दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत एवरेस्ट से इसकी ऊंचाई 2 हजार मीटर कम है। कैलाश पर्वत पर 52 किमी की परिक्रमा करना शायद आपके लिए संभव हो सके। कैलाश पर्वत की चढ़ाई एकदम खड़ी है ऐसे में इसपर चढ़ पाना तकरीबन-तकरीबन नामुमकिन ही है।
चीन का दबदबा
मालूम हो कि कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है जिसका ज्यादातर हिस्सा तिब्बत में आता है जिसपर चीन का अधिकार है। ल्हा चू और झोंग चू के बीच एक पहाड़ है जिसके दो जुड़े हुए शिखर हैं इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है।
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