Kartik Swami Temple: 200 साल पुराना है भगवान शिव के बेटे का ये मंदिर, ऑफबीट ट्रेकिंग का भी ले सकते हैं मजा
Kartik Swami Temple: क्रोंच पर्वत के ऊपर स्थित मंदिर भगवान कार्तिक को देश के कुछ हिस्सों में भगवान मुरुगा या भगवान मुरुगन के रूप में भी जाना जाता है।

Kartik Swami Temple: 200 साल पुराना है ये मंदिर। ( Pic-uttarakhandtourism.gov.in)
Kartik Swami Temple: पहाड़ी राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand) को देवभूमि भी कहा जाता है। हर साल देश समेत दुनिया से टूरिस्ट इसकी सुंदरता देखने के लिए यहां (Travel) आते हैं। पिछले कुछ सालों में तो यहां पर्यटकों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ने लगी है। यहां आपको करीब-करीब सभी देवी-देवताओं के मंदिर भी मिलेंगे। ऐसा ही एक मंदिर है कार्तिक स्वामी मंदिर (Kartik Swami Temple), जो रुद्रप्रयाग के पास कनकचौरी गांव के पास एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। दरअसल ये मंदिर राज्य में भगवान शिव (Lord Shiva) के पुत्र भगवान कार्तिक को समर्पित सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। उत्तराखंड सरकार कार्तिक स्वामी मंदिर को आकर्षण के तौर पर विकसित करने में लगी है।
क्रोंच पर्वत के ऊपर स्थित मंदिर भगवान कार्तिक को देश के कुछ हिस्सों में भगवान मुरुगा या भगवान मुरुगन के रूप में भी जाना जाता है। ये मंदिर 200 साल से अधिक पुराना माना जाता है। मंदिर एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, क्योंकि ये उत्तराखंड का अकेला ऐसा मंदिर है जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
80 सीढ़ियां चढ़ने के बाद आता है मंदिर
बारिश होने पर माहौल अलौकिक हो जाता है और ऐसा लगता है कि मंदिर बादलों से उठ रहा है। कनकचौरी गांव से करीब 3 किलोमीटर की चढ़ाई 80 सीढ़ियां चढ़कर खत्म होती है और हजारों घंटियों से सजी शांत मंदिर तक जाती है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर यहां घंटी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है। संध्या आरती या शाम की प्रार्थना यहां विशेष रूप से मंत्रमुग्ध कर देने वाली होती है, जिसमें पूरा मंदिर परिसर घंटियों और भजनों से गुंजायमान रहता है।
ऑफबीट ट्रेकिंग डेस्टिनेशन भी है कार्तिक स्वामी मंदिर
कार्तिक स्वामी मंदिर एक ऑफबीट ट्रेकिंग डेस्टिनेशन भी है, जो हिमालय के असाधारण स्थलों पर कब्जा करने की इच्छा रखने वाले साहसी लोगों को आकर्षित करता है। बंदरपूंछ से शुरू होने वाले इस अभियान में आप केदारनाथ डोम, चौखंबा चोटी, नीलकंठ पर्वत, द्रोणागिरी, नंदा घुंटी, त्रिशूल, नंदा देवी और मेरु और सुमेरु पर्वत देखेंगे।
मंदिर तक कैसे पहुंचे
ये मंदिर रुद्रप्रयाग से करीब 40 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कनकचौरी गांव से करीब 3 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। ट्रेक आसान नहीं है। अगर आप दिल्ली से यहां आने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले दिल्ली से हरिद्वार आना होगा, जिसमें आपको 5-6 घंटे का समय लगेगा। इसके बाद अब आपको हरिद्वार से कनकचौरी गांव की ओर जाना होगा, जो करीब 200 किलोमीटर है। इसके बाद आपको मंदिर के लिए कनकचौरी गांव से ट्रेक करना होगा, जो करीब 3 किलोमीटर का है। ट्रेक ज्यादा कठिन नहीं है। दिल्ली से कार्तिक स्वामी मंदिर की दूरी 405 किलोमीटर है।
मंदिर आने का सबसे बढ़िया समय
कार्तिक स्वामी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून के बीच है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में आते हैं, जो आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है। आप जून महीन में कलश यात्रा के दौरान भी घूमने का प्लान बना सकते हैं।
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पहाड़ से हूं, इसलिए घूमने फिरने का शौक है। दिल्ली-नोएडा से ज्यादा उत्तराखंड में ही मन लगता है। कई मीडिया संस्थानों से मेरी करियर यात्रा गुजरी है और मई...और देखें

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