Tiger Reserves जहां टाइगर ही हो चुके हैं गायब, कभी हुआ करता था बाघों का घर

Indian Tiger Reserves: भारत के कई बाघ अभयारण्यों में बाघों की आबादी में भारी गिरावट देखी जा रही है। यहां भारत के कुछ बाघ अभयारण्यों पर एक नजर डाली गई है जहां या तो ये संख्या में बहुत कम है या पूरी तरह से गायब हो गए हैं। इस लिस्ट में 3 प्रमुख बाघ अभयारण्य शामिल हैं।

Tiger Reserve

Tiger Reserve

Tiger Reserve: दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्य भारत में मौजूद हैं। इन अभयारण्य को मुख्य रूप से बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है। हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद कुछ अभयारण्यों में बाघों की आबादी लगभग या पूरी तरह से विलुप्त होने की कगार तक पहुंच गई है। यहां कुछ जगहों पर तो बाघों को सालों से नहीं देखा गया है। ऐसे में यह चिंता बढ़ गई है कि क्या बाघ अभी भी इन संरक्षित क्षेत्रों में मौजूद हैं।

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पलामू टाइगर रिजर्व: 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित झारखंड पलामू टाइगर रिजर्व पहले नौ रिजर्व में से एक था। पिछले कुछ सालों में इस प्राचीन जगह को अपनी बाघ आबादी को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि यहां बाघों की संख्या में काफी कमी आई है। इस गिरावट के मुख्य कारणों में अवैध शिकार, वनों की कटाई और लगातार मानवीय अतिक्रमण शामिल हैं।

डम्पा टाइगर रिजर्व: मिजोरम में स्थित डम्पा टाइगर रिजर्व में भी टाइगर लगभग विलुप्त हो चुके हैं। घने जंगल और विविध वन्यजीव निवास स्थान के रूप में इस रिजर्व को जाना जाता है। अपने विशाल परिदृश्य के बावजूद, यहां सालों से बाघ नहीं देखे गए हैं। वन्यजीवों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप बाघों की किसी भी गतिविधि को रिकॉर्ड करने में विफल रहे हैं।

बक्सा टाइगर रिजर्व: पश्चिम बंगाल में स्थित बक्सा टाइगर रिजर्व में कभी बाघों की समृद्ध आबादी पाई जाती थी। मौजूदा समय में आलम ये है कि इस प्रजाति के देखे जाने की यहां कोई पुष्टि तक नहीं कर पा रहा है। कई संरक्षण प्रयासों के बावजूद, यहां बाघों की उपस्थिति का ठोस सबूत नहीं मिल रहा है।

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प्रभात शर्मा author

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