Tungnath Chandrashila Trek: समझ लें तुंगनाथ चंद्रशिला का पूरा रास्ता, सिर्फ 1 हजार में स्टे, 24 घंटे बिजली-पानी

Tungnath chandrashila Trek From Delhi: धार्मिक यात्रा के साथ-साथ अगर आप रोमांच की चाह रखते हैं तो फिर तुंगनाथ चंद्रशिला वो जगह है जहां जाकर आपको सुकून और शांति के साथ ही अद्भुत एहसास होगा। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस धार्मिक जगह की यात्रा के दौरान आपको विदेश वाली वाइब आ जाएगी।

Tungnath chandrashila Trek From Delhi

Tungnath chandrashila Trek From Delhi

Tungnath Chandrashila Trek Complete Tour Guide: पंच केदारों में से एक दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस अनूठे मंदिर की यात्रा आपको रोमांच से भर देगी। मान्यता है कि 5000 साल पहले स्वंय पांडवों द्वारा इस मंदिर को निर्मित किया गया था। इस रोमांचक यात्रा के दौरान ना केवल आप तुंगनाथ के दर्शन कर पाएंगे बल्कि इससे 1.5 की ट्रैकिंग के बाद आप पहुंच जाएंगे चंद्रशिला जो कि समुद्र तल से 4 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंद्रशिला वो जगह है जहां क्षय रोग से मुक्ति के लिए चंद्रमा ने भगवान शंकर का तप किया था। चंद्रशिला से जुड़ी ये भी मान्यता है कि रावण के वध के बाद श्रीराम ने पश्चाताप के लिए चंद्रशिला की इस पहाड़ी पर कुछ समय तक रहकर ध्यान किया था।

तुंगनाथ और चंद्रशिला के बारे में मोटा-मोटा हमने आपको समझा दिया है। आइए जानते हैं कि मिनी स्विटजरलैंड के नाम से मशहूर इस जगह पर आप कैसे पहुंच सकते हैं, यात्रा कितनी कठिन है, वहां पहुंचने में कितना खर्चा आएगा, वहां पहुंचने के दौरान खाने-पीने से लेकर ठहरने की क्या व्यवस्था है।

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तुंगनाथ की यात्रा कैसे करें (How do I travel to Tungnath)

तुंगनाथ पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से यात्रा करना बेस्ट हो सकता है। इसके लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश तक आना पड़ेगा। ऋषिकेश पहुंचने के बाद आपको उखीमठ होते हुए चोपता गांव पहुंचना होता है। चोपता के लिए डायरेक्ट कोई बस सेवा नहीं है ऐसे में आप निजी वाहन या फिर टैक्सी के जरिए वहां पहुंच सकते हैं। दिल्ली से चोपता पहुंचने में आपको आराम से 10 से 11 घंटे लग सकते हैं।

चोपता तुंगनाथ प्रवास (Chopta tungnath stay)

चोपता तुंगनाथ के आसपास ही रुकना आपके लिए उचित होगा। चोपता में रहने के लिए आपको 1 हजार से 1500 रुपए खर्च करके स्टे के लिए ठीकठाक कमरा मिल जाएगा। गौर करने वाली बात ये है कि इन कमरों में 3 से 4 लोग बड़े ही आराम से रुक सकते हैं। चोपता में एंट्री करते ही आपको ये होम स्टे मिल जाएंगे जहां बिजली से लेकर पानी तक आपको किसी चीज की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। चोपता में रहने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यहीं से ही तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक शुरू होता है। सूर्योदय का नजारा देखने के लिए आप सुबह के 3 बजे से ट्रैकिंग शुरू कर सकते हैं।

क्या तुंगनाथ एक कठिन यात्रा है (Is Tungnath a difficult trek)

तुंगनाथ की यात्रा को कठिनता के पैमाने पर मध्य में रखा जा सकता है। मतलब ना ज्यादा कठिन और ना ज्यादा आसान। अनुभवी और शुरुआती दोनों ट्रेकर्स के लिए ये यात्रा उपयुक्त है। चोपता नामक स्थान से ये यात्रा शुरू होती है। अगर आप शुरुआती ट्रेकर्स हैं तो रुकते-रुकाते आप 2 से 3 घंटें में चोपता से तुंगनाथ पहुंच जाएंगे।

तुंगनाथ से चंद्रशिला तक का ट्रेक कितना कठिन है? (How difficult is Tungnath to Chandrashila trek)

तुंगनाथ पहुंचने के बाद आपको कुछ कदम दूरी पर ही चंद्रशिला दिखने लगेगा लेकिन, यकीन मानें ये आंखों का धोखा है। कहने को तो चंद्रशिला की तुंगनाथ से दूरी 1.5 किलोमीटर है लेकिन, तुंगनाथ के मुकाबले ये यात्रा ज्यादा कठिन है। एक-एक कदम चलते हुए आपके मन से ये आवाज आ सकती है भाई कितना दूर और बचा है।

ट्रेकिंग टिप्स (Trekking tips for beginners)

ट्रेकिंग के दौरान नॉर्मल स्पोर्ट्स शूज या फिर ट्रेकिंग शूज की मदद से आप आसानी से ट्रेकिंग कर सकते हैं। जहां से तुंगनाथ का ट्रेक शुरू होता है वहीं पर आपको शूज और ट्रेकिंग स्टीक किराए पर मिल जाएगी आपको अलग से घर से कुछ बैग में पैक करके ले जाने की जरूरत नहीं है। तुंगनाथ से चंद्रशिला की ट्रेकिंग करते वक्त आपको अगर बर्फ मिलने की संभावना हो तो जूते के लिए स्पाइक लेना बिल्कुल मत भूलें इससे आप बर्फ में फिसलन से बचेंगे। यात्रा के दौरान सनबर्न होने की काफी ज्यादा संभावना है इससे बचने के लिए आप सनस्क्रीन क्रीम लगाना बिल्कुल भी मत भूलें वहीं सूरज की डायरेक्ट रोशनी से संपर्क में आने से बचें वरना आपकी त्वचा को काफी नुकसान हो सकता है।

तुंगनाथ और चंद्रशिला घूमने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Tungnath and Chandrashila)

चोपता चंद्रशिला ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के महीने के बीच होता है। इस दौरान मौसम सुहावना और रास्ते साफ होते हैं। भूस्खलन के जोखिम के कारण मानसून के महीनों के दौरान यहां यात्रा करने से बचना चाहिए।

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प्रभात शर्मा author

नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं और म‍िजाज नए जमाने वाले रखता हूं। 6 साल से मीडिया में काम कर रहा हूं। timesnowhindi.com में मुझे घुम्‍मकड़ी का शौक...और देखें

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