Insurance Policy: साइक्लोन मिचौंग के बाद बीमा उद्योग में बड़ी चुप्पी, क्लेम को लेकर नहीं जारी हुई कोई भी गाइडलाइंस
Insurance Policy : इससे पहले किसी भी प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना के दौरान, आईआरडीए ने बीमाकर्ताओं को क्लेम को प्रोसेस करने, क्लेम दस्तावेजों को स्वीकार करने और क्लेम की सूचना देने के तौर-तरीकों पर निर्देश जारी किए थे। इस बार बीमाकर्ता इस बार चक्रवात गुजरने के कई दिनों बाद भी चुप हैं।
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तस्वीर साभार : IANS
Insurance Policy : रीजनल रेगुलेटरी सहित भारतीय बीमा उद्योग, चक्रवात मिचौंग से प्रभावित पॉलिसीधारकों को संपत्ति और जीवन के नुकसान के क्लेम को प्राथमिकता देने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में अजीब तरह से चुप हैं। चक्रवात मिचौंग के कारण, चेन्नई में भारी वर्षा हुई जिसके चलते शहर में बाढ़ आ गई और रेसिडेंशियल, कमर्शियल और विनिर्माण परिसरों में पानी भर गया। इसके कराण वाहनों, घरेलू संपत्तियों, कारखाने की मशीनों और अन्य को भारी नुकसान हुआ है।
Insurance Policy : इंश्योरेंस कंपनियों ने साधी चुप्पी
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि यह अजीब है कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) और बीमाकर्ता इस बार चक्रवात गुजरने के कई दिनों बाद भी चुप हैं।
इससे पहले किसी भी प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना के दौरान, आईआरडीए ने बीमाकर्ताओं को क्लेम को प्रोसेस करने, क्लेम दस्तावेजों को स्वीकार करने और क्लेम की सूचना देने के तौर-तरीकों पर निर्देश जारी किए थे। बीमाकर्ताओं को क्लमे की सूचना के लिए समर्पित फोन नंबरों के साथ एक विशेष सेल की स्थापना का निर्देश दिया जाता था। इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। इससे पहले, प्राकृतिक आपदा आने पर चार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां चार क्षेत्रों में प्रमुख समन्वय एजेंसी होती थीं।
मोटर बीमा के क्लेम सबसे ज्यादा
उस समय वे प्रमुख खिलाड़ी थे। लेकिन अब निजी बीमाकर्ताओं ने बाजार हिस्सेदारी के मामले में कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ताओं को पीछे छोड़ दिया है और वे अब चुप हैं। पिछले अनुभव के अनुसार, मोटर बीमा के क्लेम सबसे ज्यादा होंगे। इसके बाद निर्माताओं (मशीनरी, स्टॉक क्षति), वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और अन्य से संबंधित दावे होंगे।
व्यक्तिगत नुकसान खुद उठाना पड़ेगा
बीमा अधिकारी ने कहा कि घरेलू सामान, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, कीमती सामान और अन्य को कवर करने वाले गृह बीमा की पहुंच बहुत कम है। यहां तक कि बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी वह पॉलिसी नहीं लेते हैं। इसलिए व्यक्तियों को अपना व्यक्तिगत नुकसान खुद उठाना पड़ेगा। दूसरी ओर, वाहन निर्माताओं ने बाढ़ से क्षतिग्रस्त वाहनों की सर्विसिंग के लिए अपना समर्थन देने के लिए बयान जारी करना शुरू कर दिया है।
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