ग्रीन प्रोडक्ट बताकर कुछ भी नहीं बेच पाएंगी कंपनियां, सरकार सख्त अब जारी हो सकती है ऐसी गाइडलाइंस
कंपनियां लोगों को ग्रीन प्रोडक्ट्स के नाम पर कुछ भी बेच दे रही हैं। लोगों को भ्रामक तरीके से अपने प्रोडक्ट्स को पर्यावरण के लिए मुफीद बता रही हैं। ASCI ने पर्यावरण/हरित दावों की जांच के लिए ड्रॉफ्ट दिशानिर्देश तैयार किया है। इसका मकसद पर्यावरणीय विज्ञापन में पारदर्शिता लाना और जवाबदेही बढ़ाना है।
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आज के समय में ग्रीन प्रोडक्ट्स की खूब मांग बढ़ी है। ग्रीन प्रोडक्ट्स उसे कहते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है। ऐसे प्रोडक्ट्स का कारोबार देश में तेजी से बढ़ा है। लेकिन इसके साथ ही बढ़ी है धोखाधड़ी। कंपनियां लोगों को ग्रीन प्रोडक्ट्स के नाम पर कुछ भी बेच दे रही हैं। लोगों को भ्रामक तरीके से अपने प्रोडक्ट्स को पर्यावरण के लिए मुफीद बता रही हैं। इस तरह कंपनियां ग्राहकों को ठग रही हैं। ग्रीनवॉशिंग के जरिए उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिए एक झूठा दावा किया जा रहा है कि कंपनी के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं। लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी से बचाने के लिए सरकार अब सख्त हो गई है।
ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस
ASCI ने पर्यावरण/हरित दावों की जांच के लिए ड्रॉफ्ट दिशानिर्देश तैयार किया है। इसका मकसद पर्यावरणीय विज्ञापन में पारदर्शिता लाना और जवाबदेही बढ़ाना है। सरकार इसको लेकर जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। इसमें कंपनियों के दावों की जांच की जाएगी। अगर कंपनियां किसी प्रोडक्ट को पर्यावरण अनुकूल बता रही हैं, तो उन्हें अपने दावे को साबित करना पड़ेगा। वो जिस चीज के बारे में बता रही हैं उसका आधार क्या है, ये उन्हें बताना होगा। साथ ही इसके लिए उन्हें सबूत भी दिखाने होंगे। कंपनियों को अपने विज्ञापन में उपभोक्ताओं को पर्यावरण के बारे में गुमराह नहीं कर सकती हैं।
सर्टिफिकेशन और अप्रूवल
इसके अलावा सर्टिफिकेशन और अप्रूवल से पहले स्पष्ट होना चाहिए कि प्रोडक्ट में कौन सी विशेषताएं हैं। उत्पाद या सेवा का वैल्यूएशन प्रमाणनकर्ता द्वारा किया गया है और इसका आधार क्या है। इस बात की जानकारी देनी होगी। विज्ञापन में प्रमाणपत्र और मुहर नेशनल और इंटरनेशल लेवल पर मान्यता प्राप्त प्रमाणन प्राधिकारी से होना चाहिए। उत्पाद ऐसे तत्वों से मुक्त हैं जो पर्यावरणीय खतरे पैदा कर सकते हैं। इस बात की पुष्टि के लिए सबूत देने होंगे।
आंख बंद करके नहीं करें भरोसा
ग्रीन प्रोडक्ट्स बेचने वाली कंपनियों के लिए सरकार इस तरह की गाइडलाइंस जारी कर सकती है। इसको लेकर ASCI ने ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें गाइडलाइंस को लेकर इस तरह की तमाम बातें कही गई हैं। पिछले दिनों ग्रीन प्रोडक्ट्स को लेकर उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बड़ी बात कही थी। उन्होंने स्टोरीबोर्ड18 के साथ बातचीत में कहा कि अगर कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को ग्रीन बता रही है, तो मैं कहता हूं कि ग्राहक को इसपर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।
उपभोक्ताओं को जागरूक होना होगारोहित कुमार सिंह ने कहा था कि DoCA पहले से ही 'ग्रीनवॉशिंग' को लेकर दिशानिर्देशों पर काम कर रहा है। लोग ग्रीन और टिकाऊ प्रोडक्ट्स के लिए दो से तीन गुना अधिक कीमत देने को तैयार हैं। इसलिए बेईमान लोगों को इस बात का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक होना होगा। हम 'ग्रीनवॉशिंग' के लिए लोगों को निवारक और सुधारात्मक दोनों पक्षों पर दंडित करना शुरू कर सकते हैं।
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