Flat Possession: घर मिलने के बाद भी खरीदार लेट पजेशन के लिए कर सकते हैं क्लेम, बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
Delayed Flat Possession: रेरा अधिनियम 2016 के अनुसार, एक घर खरीदार रिफंड/ब्याज का क्लेम करने का हकदार है। एचसी पुणे के बालेवाड़ी जोन में एक प्रोडक्ट के डेवलपर ने महाराष्ट्र रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (MREAT) के फैसले के खिलाफ दायर एक मामले की सुनवाई कर रहा था।
Flats
Delayed Flat Possession: बॉम्बे हाई कोर्ट ने घर खरीदरों के लिए राहत भरा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि घर खरीदार फ्लैट का पजेशन लेने के बाद भी रेरा अधिनियम की धारा 18 के तहत डेवलपर से पजेशन में देरी के लिए ब्याज क्लेम कर सकते हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट एचसी पुणे के बालेवाड़ी जोन में एक प्रोजेक्ट डेवलपर के महाराष्ट्र रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (MREAT) के फैसले के खिलाफ दायर एक मामले की सुनवाई कर रहा था। इसमें देर से पजेशन के लिए ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। डेवलपर ने अगस्त 2016 और सितंबर 2017 सहित दो अलग-अलग तारीखों पर पजेशन देने का वादा किया था। हालांकि, दो घर खरीदारों को पजेशन केवल 2018 में दिया गया था।
ब्याज पर रेरा कानून
रेरा अधिनियम 2016 के अनुसार, एक घर खरीदार रिफंड/ब्याज का क्लेम करने का हकदार है। अगर वह उस प्रोजेक्ट से बाहर निकलना चाहता है, जहां पजेशन मिलने में देरी हो रही है या फिर जहां डेवलपर घर खरीदार को देर से पजेशन देता है। दो घर खरीदारों ने डेवलपर के खिलाफ महारेरा में दो अलग-अलग तारीखों- अप्रैल 2019 और जनवरी 2020 में पजेशन में हो रही देरी के लिए ब्याज की मांग के लिए शिकायत दर्ज करवाई थी। महारेरा ने खरीदार के पक्ष में फैसला सुनाया था।
कोर्ट का ऑर्डर
MREAT में फैसले के बाद डेवलपर ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दूसरी अपील दायर की थी। हालांकि, बॉम्बे HC ने 22 मार्च, 2024 के अपने आदेश में डेवलपर के दायर किए गए आवेदनों को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि घर खरीदार स्टॉप वर्क नोटिस जारी करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। यह सुनिश्चित करना डेवलपर का काम है कि प्रोजेक्ट को तय समय के भीतर पूरा करने के लिए आवश्यक निर्माण सामग्री उपलब्ध कराई जाए।
खरीदार और डेवलपर दोनों के लिए नियम
बॉम्बे हाई कर्ट ने कहा कि अगर घर खरीदार को महारेरा के समक्ष शिकायत दर्ज करनी होती और डेवलपर के साथ मुकदमेबाजी जारी रखनी होती, तो इससे घर खरीदार को और नुकसान होता। इसलिए रेरा अधिनियम की धारा 18 के तहत शिकायत दर्ज करने से पहले फ्लैट का कब्जा लेना आवंटी के हित में था। बॉम्बे HC ने कहा कि RERA अधिनियम की धारा 18 दोनों पर लागू होती है। जब घर खरीदार प्रोजेक्ट से हटने की मांग करता है और साथ ही जब प्रोजेक्ट के पूरा होने में देरी होती है।
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