ट्रेन के किस डिब्बे से हुई चेन पुलिंग, ऐसे पकड़ लेते हैं गार्ड और ड्राइवर

Train Chain Pulling: कार और बाइक में भले ब्रेक लगाना पड़ता हो पर सभी ट्रेनों के पहियों में ब्रेक शू से सटे होने की वजह से ब्रेक सटा ही रहता है। लोक पायलट को ट्रेन चलानी होती है तो वो हवा का प्रेशर देकर इस ब्रेक शू को 5mm पीछे हटाता है।

ट्रेन चेन पुलिंग

Train Chain Pulling: कार और बाइक में भले ब्रेक लगाना पड़ता हो पर सभी ट्रेनों के पहियों में ब्रेक शू से सटे होने की वजह से ब्रेक सटा ही रहता है। लोक पायलट को ट्रेन चलानी होती है तो वो हवा का प्रेशर देकर इस ब्रेक शू को 5mm पीछे हटाता है। अगर ट्रेन रोकनी होती है तो हवा का प्रेशर रिलीज कर दिया जाता है और ब्रेक शू अपने आप लग जाते हैं। तभी जब ट्रेन रुकने वाली होती है तो आपने आप हवा निकलने की आवाज आती है।

ऐसे पता लगता है किस डब्बे में खीची गई चेन

सभी डिब्बो में एक चेन लगी होती है। किसी तरह की इमरजेंसी में पैसेंजर जब इस ट्रेन को खींचते हैं तो ट्रेन में ब्रेक लग जाता है। चेन पुलिंग करते ही डिब्बे के बाहर एक लाइट जल जाती है। इसके अलावा लोकोपायलट भी तीन छोटे-छोटे हॉर्न बजाता ताकि पता चल सके कि चेन पुलिंग की गई है। जिससे गार्ड या ट्रेन में मौजूद सहायक कर्मचारियों को पता लग जाता है कि कहां से चेन खींची गई है। लोको पायलट चाहे तो चेन पुलिंग के बावजूद एयर प्रेशर देकर गाड़ी आगे बढ़ा सकता है क्योंकि उसके पास एयर प्रेशर के लिए एक फीडर पाइप भी होता है।

इतना होता है जुर्माना

दक्षिण रेलवे के वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक भारतीय रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 141 के तहत उचित और पर्याप्त कारण के बिना अलार्म चेन खींचना एक दंडनीय अपराध है। जुर्माने के रूप में एक वर्ष तक का कारावास 1000 रुपये का जुर्माना शामिल हैं।

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