Indian Railway: आठ साल पहले ट्रेन में खो गया था यात्री का बैग, अब रेलवे को देने पड़ेंगे एक लाख से अधिक, जानें क्या है नियम
Indian Railway: एक मुसाफिर का जनवरी 2016 में झांसी और ग्वालियर के बीच कुछ बिना टिकट वाले यात्रियों द्वारा चुरा लिया गया था। इसके बाद उसने शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रेलवे को एक लाख रुपये से अधिक यात्री को देने का आदेश दिया है।
Indian Railway News (Photo: Freepik)
Indian Railway: दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने भारतीय रेलवे को सेवाओं में लापरवाही बरतने का दोषी पाया और यात्री को1.08 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। दरअसल, एक यात्री का बैग यात्रा के दौरान चोरी हो गया था। इस मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (मध्य जिला) कर रहा था। इसमें कहा गया था कि यात्री का 80,000 रुपये मूल्य का कीमती सामान वाला बैग जनवरी 2016 में झांसी और ग्वालियर के बीच कुछ बिना टिकट वाले यात्रियों द्वारा चुरा लिया गया था। यह घटना मालवा एक्सप्रेस के आरक्षित डिब्बे में यात्रा के दौरान हुई थी।
सामान की सुरक्षा
शिकायत में कहा गया था कि सुरक्षित और आरामदायक यात्रा के साथ-साथ यात्रियों के सामान की सुरक्षा करना रेलवे का कर्तव्य था। आयोग ने तीन जून को पारित आदेश में कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता नई दिल्ली से ट्रेन में सवार हुआ था, इसलिए मामले की सुनवाई करना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। आयोग के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने मामले की सुनवाई की।
कोर्ट का आदेश
आयोग ने कहा कि यदि प्रतिवादी या उसके कर्मियों की ओर से सेवाओं में कोई लापरवाही या कमी नहीं होती, तो ऐसी घटना नहीं होती। यात्रा के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा ले जाए जा रहे सामान के मूल्य को नकारने के लिए कोई अन्य बचाव या सबूत नहीं है, इसलिए शिकायतकर्ता को 80,000 रुपये के नुकसान की प्रतिपूर्ति का हकदार माना जाता है। अदालत ने उन्हें असुविधा, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये का हर्जाना देने के अलावा मुकदमे की लागत के लिए 8,000 रुपये देने का भी आदेश दिया।
सामान चोरी हो जाए तो क्या करें
ट्रेन से यात्रा के दौरान अगर आपका सामान चोरी हो जाए, तो तुरंत ट्रेन ते कोच अटेंडेंट, टीटी या फिर गार्ड से संपर्क करना चाहिए। ये आपको एक फॉर्म उपलब्ध करवाएंगे, जिसे रेलवे पुलिस के पास भेजा जाता है और फिर एफआईआर दर्ज की जाती है। यात्री को कहीं भी एफआईऐआर दर्ज करवाने के लिए नहीं जाना पड़ता है। इसके बाद सामान खोजने की कार्रवाई शुरू की जाती है। जब सामान मिल जाता है, तो पुलिस आपसे संपर्क वापस कर देती है।
पिछले साल जून में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा था कि यात्रा के दौरान किसी यात्री का सामान चोरी हो जाए, तो रेलवे मैनजमेंट और प्रशासन इसका जिम्मेदार नहीं माना जा सकता।
(इनपुट-भाषा)
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