कोरोमंडल एक्सप्रेस महज ट्रेन नहीं बल्कि करोड़ों बेबस लोगों की आखिरी उम्मीद, 46 साल से बनी हुई है लाइफलाइन

Coromandel Express: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे के बाद ये ट्रेन काफी चर्चा में है। 2 जून को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनें एक-दूसरे से टकराईं, जिसमें 275 लोगों की मौत हो गई।

कोरोमंडल एक्सप्रेस

Coromandel Express: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे के बाद ये ट्रेन काफी चर्चा में है। 2 जून को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनें एक-दूसरे से टकराईं, जिसमें 275 लोगों की मौत हो गई। एक हजार से ज्यादा घायल हुए। हालात धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहे हैं। 1977 में शुरू हुई ये ट्रेन भारतीय रेलवे की प्रमुख ट्रेनों में से एक थी जो कभी दक्षिण भारत के साथ बंगाल को जोड़ने का एक प्रमुख जरिया थी।
ट्रेन शुरू में दक्षिणी भारत में रहने वाले लगभग हर बच्चे के लिए छुट्टियों पर घर जानें का सबसे बढ़िया साधन थी, जो परिवारों को आने-जाने और समय की पाबंदी, सफाई और भरोसेमंद पेंट्री सेवा के लिए जानी जाती थी।

ऐसे पड़ा कोरोमंडल एक्सप्रेस इस ट्रेन का नाम

बंगाल की खाड़ी से लगे देश के पूर्वी तट को कोरोमंडल कोस्ट कहा जाता है और यह ट्रेन पूरे कोरोमंडल कोस्ट से होकर गुजरती है। इसी से इस ट्रेन को कोरोमंडल एक्सप्रेस नाम दिया गया। शालीमार से चेन्नई जाते समय इस ट्रेन को रेलवे की तरफ से सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है। इसी कारण से इस ट्रेन को किंग ऑफ साउथ ईस्टर्न रेलवे भी कहा जाता है।
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