डाटा लीक होने पर कंपनियों पर लगेगा 250 करोड़ तक जुर्माना,जानें डाटा प्रोटेक्शल बिल में क्या है खास
Data Protection Bill Explained: सबसे अहम प्रावधान यह है कि नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं और कंपनियों पर 50 करोड़ रुपये से लेकर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नया बिल डाटा को प्रोटक्ट और यूज करने वाली संस्थाओं के दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तियों के निजी डाटा की सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
विधयेक लोक सभा में पेश
Data Protection Bill Explained:केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 3 अगस्त को लोकसभा में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 पेश कर दिया है। सरकार का दावा है कि नए डाटा प्रोटेक्शन बिल से सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और उनकी मनमानी भी कम होगी। और इसके अलावा आम यूजर्स के हितों की रक्षा होगी। वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि ये निजता का मामला है इसलिए बिल पर और विचार करने की जरूरत है। इस बिल में सबसे अहम प्रावधान यह है कि अगर यूजर्स के डिजिटल डाटा का दुरुपयोग की कंपनियां सेफ्टी नहीं कर पाईं तो उन पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
क्या है अहम प्रावधान
सबसे अहम प्रावधान यह है कि नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं और कंपनियों पर 50 करोड़ रुपये से लेकर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नया बिल डाटा को प्रोटक्ट और यूज करने वाली संस्थाओं के दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तियों के निजी डाटा की सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
इसके अलावा यह भी प्रावधान किया गया है कि किसी भी अच्छे विश्वास में किए गए या किए जाने वाले किसी भी काम के लिए केंद्र सरकार, अध्यक्ष, बोर्ड और उसके किसी भी सदस्य, अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोई मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी।
इसके अलावा केंद्र सरकार को आम जनता के हित में कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार भी मिल जाएगा।
विपक्ष को इस बात का डर
विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सूचना का अधिकार और निजता के अधिकार को कमतर करने का प्रयास किया गया है।उन्होंने कहा कि इसमें पीड़ितों को मुआवजे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।चौधरी ने कहा कि इस विधेयक को और विचार-विमर्श के लिए स्थायी समिति या संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाना चाहिए।एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला और निगरानी राज स्थापित करने वाला विधेयक है।तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी कहा कि इस विधेयक को विस्तृत विचार विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए।विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पेश किये जाने को मंजूरी दे दी।
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