प्लेटलेट्स के नाम पर फर्जीवाड़ा, ऐसे करें असली और नकली की पहचान
Dengue: प्लेटलेट्स खून का अहम हिस्सा होते हैं और ये छोटे और रंगहीन होते हैं। खून में प्लेटलेट्स की कुल हिस्सेदारी महज 1-2 फीसदी होती है। शरीर में प्लेटलेट्स बोन मैरो में बनते हैं। प्लेटलेट्स का मुख्य काम शरीर के बहते खून बहने को रोकना होता है। वैसे तो शरीर में अरबों की संख्या में प्लेटलेट्स होतें हैं, लेकिन इनकी लाइफ काफी कम दिनों की होती है। ये महज हफ्तेभर या दस दिन तक ही जिंदा रहते हैं।
प्लेटलेट्स के नाम पर फर्जीवाड़ा।
मुख्य बातें
- प्लेटलेट्स के नाम पर फर्जीवाड़ा
- प्रयागराज पुलिस ने नकली प्लेटलेट्स बेचने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़
- पुलिस ने गिरोह के 10 सदस्यों को किया गिरफ्तार किया
नकली प्लेटलेट्स बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़
डेंगू बुखार इस समय देश के कई हिस्सों में फैला हुआ है। डेंगू में पीड़ित मरीज के प्लेटलेट्स काफी तेजी से गिरने लगते हैं, ऐसे में मरीज की जान बचाने के लिए प्लेटलेट्स चढ़ानी पड़ती है। प्लेटलेट्स बहुत कम होने पर मरीज की मौत की ज्यादा संभावना रहती है। देश में डेंगू के मामलों की बढ़ती संख्या के चलते आपको प्लेटलेट्स के बारे में जानना जरूरी है कि ये क्या है और कैसे काम करती है। साथ ही कैसे इन प्लेटलेट्स को बढ़ाया जा सकता है।
डेंगू मरीज के बोन मैरो पर असर डालता है और प्लेटलेट्स बोन मैरो में ही बनता है। प्लेटलेट्स कम होने पर नाक और मसूड़ों से खून आने के अलावा, मल और मूत्र से खून आना पीरियड के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है। साथ ही कऊ बार इंटरनल ब्लीडिंग का भी खतरा रहता है। 20 हजार काउंट कम होने पर ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है।
खून का अहम हिस्सा होते हैं प्लेटलेट्स
दरअसल प्लेटलेट्स खून का अहम हिस्सा होते हैं और ये छोटे और रंगहीन होते हैं। खून में प्लेटलेट्स की कुल हिस्सेदारी महज 1-2 फीसदी होती है। शरीर में प्लेटलेट्स बोन मैरो में बनते हैं। प्लेटलेट्स का मुख्य काम शरीर के बहते खून बहने को रोकना होता है। वैसे तो शरीर में अरबों की संख्या में प्लेटलेट्स होतें हैं, लेकिन इनकी लाइफ काफी कम दिनों की होती है। ये महज हफ्तेभर या दस दिन तक ही जिंदा रहते हैं।
खून की एक बूंद में 1.5 से 4.5 लाख प्लेटलेट्स काउंट को हेल्थी माना जाता है। डेंगू के मरीज को प्लेटलेट्स की काफी ज्यादा जरूरत होती है, ऐसे में जो शख्स प्लेटलेट्स डोनेट करता है, वह मरीज को 5 दिन के अंदर चढ़ाना जरूरी होता है। प्लेटलेट्स को चेक सीबीसी टेस्ट से किया जाता है। मरीज के खून से ही प्लेटलेट्स का पता चलता है। कई बार ऐसा भी हुआ कि नकली प्लेटलेट्स से मरीज की जान भी गई है।प्लेटलेट्स के नाम पर कई बार फर्जीवाड़ा भी हुआ है, ऐसे में प्लेटलेट्स के बारे में डॉक्टर या लैब ही बता सकते हैं कि वह असली है या नकली।
अंग प्रत्यारोपण जैसी सर्जरी से बचने और कैंसर, पुरानी बीमारियों और दर्दनाक चोटों से लड़ने के लिए भी प्लेटलेट्स जरूरी होती हैं। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब तक जरूरी न हो, तब तक प्लेटलेट्स नहीं चढ़वानी चाहिए, क्योंकि इससे शरीर पर साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
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टाइम्स नाउ नवभारत author
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