Insurance Rules in English: अंग्रेजी में इंश्योरेंस के नियम और शर्तें, पॉलिसी होल्डर्स परेशान, काटने पड़ रहे कोर्ट के चक्कर
Insurance Rules in English: पॉलिसी खरीदने वाले सिर्फ एजेंट की बताई बातों पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब उन्हें पॉलिसी की जरूरत पड़ती है, तो तमाम नियम और शर्तें उनके लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। आयोग ने कहा कि इसिलिए इंश्योरेंस होल्डर्स को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
इंश्योरेंस
Insurance Rules in English: इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स को अंग्रेजी भाषा की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, इंश्यरेंस के नियम और शर्तें अंग्रेजी में ही लिखी होती हैं, जिसे किसी भी आम इंसान के लिए समझना आसान नहीं होता है। पॉलिसी खरीदने वाले सिर्फ एजेंट की बताई बातों पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब उन्हें पॉलिसी की जरूरत पड़ती है, तो तमाम नियम और शर्तें उनके लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश में सामने आया, जिसपर राज्य उपभोक्ता आयोग ने क्लेम करने वाले को राहत दी और बीमा कंपनी से इंश्योरेंस का पैसा देने का आदेश दिया।
उत्तर प्रदेश के राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि प्रादेशिक और हिंदी में नियम और शर्तों को लिखवाने के लिए कई आदेश जारी हो चुके हैं। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है। आयोग ने कहा कि इसिलिए इंश्योरेंस होल्डर्स को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
बीमा कंपनी ने रद्द कर दिया क्लेम
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की एक महिला ने बजाज एलियांज कंपनी से 3.45 लाख रुपये की लाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसी खरीदी थी। अक्टूबर 2016 में 23,970 रुपये की पहली किस्त जमा की थी। जून 2017 में महिला की मृत्यु हो गई। इसके बाद महिला के पति ने बीमा के पैसे के लिए क्लेम किया। लेकिन कंपनी ने क्लेम को रद्द कर दिया। इसके पति ने साल 2020 में जिला उपभोक्ता फोरम में मामला दाखिल किया।
पॉलिसी की शर्तें
जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि एक महीने के भीतर क्लेम की राशि सात फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करे। इसके अलावा फोरम ने कहा कि मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए पांच हजार और वाद के खर्च के लिए दो हजार रुपये का भुगतान करे। जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ बजाज एलियांज ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। बीमा कंपनी ने कहा कि पॉलिसी की शर्तों के अनुसार, क्लेम का भुगतान नहीं किया जा सकता।
क्लेम देने से बच नहीं सकती कंपनी
आयोग के अध्यक्ष ने इस मामले पर कहा कि देश में ज्यादातर लोग अंग्रेजी भाषा ठीक से पढ़ और समझ नहीं सकते। केवल 7-8 फीसदी लोग ही इस भाषा को ठीक से समझ पाते हैं। इसके बाद राज्य उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश पर मुहर लगाई। बीमा कंपनी के अपील को निरस्त करते हुए आयोग ने कहा कि बीमाधारक को 3.45 लाख रुपये का क्लेम देने से नहीं बच सकती हैं।
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