EPF Vs EPS: दोनों के बीच क्या है अंतर, किसमें मिलता है ज्यादा फायदा

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) विशेष रूप से रिटायरमेंट के लिए तैयार की गई योजनाएं हैं और ये दोनों ही योजनाएं कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान एक्ट 1952 का हिस्सा हैं। बहुत कम ही लोग हैं जिन्हें इन दोनों योजनाओं के बीच फर्क पता है और अक्सर लोग दोनों ही योजनाओं को एक समझने की भूल कर देते हैं।

दोनों के बीच क्या है अंतर, किस में मिलता है ज्यादा फायदा

EPF Vs EPS: सुखद रिटायरमेंट के लिए एक सुरक्षित फंड होना बहुत जरूरी है। इस बात को सरकार भी बखूबी समझती है और इसीलिए कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान एक्ट 1952 के तहत कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) जैसे ऑप्शन प्रदान करती है। दोनों ही योजनाएं भारत सरकार की हैं और दोनों ही योजनाएं विशेष रूप से रिटायरमेंट के लिए तैयार की गई हैं। इन दोनों समानताओं के साथ ही दोनों योजनाओं में बहुत से अंतर भी हैं। आज हम आपको इन दोनों योजनाओं के बीच मौजूद अंतर के बारे में बताने जा रहे हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF): फायदे और पात्रता

EPF के तहत कर्मचारी के साथ-साथ उसकी कंपनी या संस्थान भी कर्मचारी की आय का 12% हिस्सा हर महीने इस फंड में जमा करती है। रिटायर होने के बाद व्यक्ति इस फंड से ब्याज सहित अपने पैसे निकाल सकता है। EPF अकाउंट पर फिलहाल 8.25% का सालाना ब्याज दिया जा रहा है। ऐसी कोई भी संस्था जिसमें कर्मचारियों की संख्या 20 से ज्यादा है इस योजना के तहत आती है। 15,000 रुपये प्रतिमाह कमाने वाले लोगों के लिए इस योजना में पैसे डालना अनिवार्य है और 15,000 रुपये प्रतिमाह से ज्यादा आय वाले कर्मचारी EPF का चयन खुद से कर सकते हैं। कर्मचारी इस योजना का पूरा फंड मैच्योरिटी से पहले नहीं निकाल सकते। शादी, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधित कारणों से मैच्योरिटी से पहले EPF अकाउंट से पैसे निकालते जा सकते हैं। साथ ही 2 महीने तक नौकरी न मिलने की स्थिति में भी कर्मचारी अपने पैसे निकाल सकते हैं।

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