EPFO: कंपनियों को राहत, अब PF का पैसा डिफॉल्ट करने पर कम लगेगा जुर्माना

EPFO: अब तक, दो महीने से कम की डिफॉल्ट अवधि के लिए जुर्माना का कैलकुलेशन 5 फीसदी प्रति वर्ष की दर से की जाती थी। ​​वर्तमान में नियोक्ताओं को पिछले महीने के लिए हर महीने की 15 तारीख को या उससे पहले EPFO ​​के साथ रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है और इससे अधिक देरी को डिफॉल्ट माना जाता है।

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EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने नियोक्ताओं और कर्मचारियों को राहत दी है। नए नियम के तहत नियोक्ताओं या कंपनियों को राहत मिली है। अगर कोई कंपनी पीएफ, पेंशन और इंश्योरेंस का पैसा जमा करने में चूक जाती है, तो कई मामलों में उसे अब कम जुर्माना देना होगा। इस संबंध में श्रम मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दी है।

नोटिफिकेशन के अनुसार, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना और ईपीएफओ के तहत कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना (EDLI) में प्रति माह अंशदान के बकाया का 1 फीसदी या प्रति वर्ष 12 फीसदी की दर से की जाएगी। अब तक सबसे अधिक शुल्क 25 फीसदी प्रति वर्ष था। नए प्रावधान नोटिफिकेशन की तिथि से प्रभावी होंगे।

फाइन में बदलाव

अब तक, दो महीने से कम की डिफॉल्ट अवधि के लिए जुर्माना का कैलकुलेशन 5 फीसदी प्रति वर्ष की दर से की जाती थी। दो महीने और उससे अधिक लेकिन चार महीने से कम की चूक अवधि के लिए 10 फीसदी, चार महीने और उससे अधिक लेकिन छह महीने से कम के लिए 15 फीसदी और छह महीने और उससे अधिक के लिए 25 फीसदी के आधार पर होता था। इस प्रावधान के लिए ऐसी कंपनियों पर जुर्माना कम हो जाएगा, जो लंबी अवधि के लिए डिफॉल्ट करते हैं। हालांकि, चार महीने से कम अवधि के लिए चूक करने वाले नियोक्ताओं के लिए दरों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा।

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