EPFO Rules: सैलरी से काट लिया पैसा, लेकिन कंपनी ने नहीं जमा किया PF; तो कर्मचारी यहां कर सकते हैं शिकायत

EPFO Rules: नियोक्ता (Employer) को हर महीने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के लिए सैलरी से काटे गए पैसों को कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा करना होता है। हालही में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना के लिए 8.15 प्रतिशत की ब्याज दर को मंजूरी दी है।

EPFO Rules Companies

कर्मचारी भविष्य निधि

EPFO Rules: नियोक्ता (Employer) को हर महीने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के लिए सैलरी से काटे गए पैसों को कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा करना होता है। हालही में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना के लिए 8.15 प्रतिशत की ब्याज दर को मंजूरी दी है। नियोक्ता हर महीने पीएफ खाते में बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के रूप में पीएम में योगदान देता है। अगर कंपनी आपके पीएफ खाते में पैसा जमा नहीं करती तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं।

15 दिन में कंपनी को जमा करना होता है पीएफ अंशदान (PF Contribution)

कर्मचारी ईपीएफओ पोर्टल पर लॉग इन करके हर महीने पीएफ खाते में जमा पैसे को चेक कर सकते हैं। नियोक्ता को पिछले महीने के वेतन देने के 15 दिनों के अंदर ईपीएफ अंशदान जमा करना होता है। हालांकि, कई नियोक्ता कई बार पीएफ राशि जमा करने में फेल हो जाते हैं तो उन्हें चार्ज देना होता है।

ये कार्रवाई हो सकती है

शिकायत दर्ज होने के बाद नियामक संस्था नियोक्ता के खिलाफ पूछताछ करती है। यदि जांच में यह पाया गया कि ईपीएफ का पैसा काट लिया गया है लेकिन जमा नहीं किया गया है तो तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ईपीएफओ अधिकारी ईपीएफ कटौती को देर से जमा करने पर ब्याज भी लगा सकते हैं और वसूली कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।

जमा नहीं करने पर देना होता है चार्ज

अगर कोई कंपनी दो महीने तक कर्मचारियों का PF का पैसा जमा नहीं करती है तो उसे सालाना 5 फीसदी की दर से एरियर देना होगा। अगर कोई कंपनी दो महीने से ज्यादा लेकिन 4 महीने से कम समय तक के लिए कर्मचारियों के PF का पैसा जमा नहीं करती है तो उसे सालाना 10 फीसदी के हिसाब से एरियर देना होगा। वहीं अगर कोई कंपनी चार महीने से लेकर 6 महीने तक PF पेमेंट पर डिफॉल्ट करती है तो उसे सालाना 15 फीसदी की दर से एरियर देना होगा। जबकि 6 महीने से ज्यादा लंबे समय तक PF ना जमा करने वाली कंपनियों को सालाना 25 फीसदी तक चार्ज देना होगा।

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