Rule for Hoarding Stocks: जमाखोरी है अपराध, जानें कब होती है कार्रवाई, कितनी मिलती है सजा
Rule for Hoarding Commodities Stocks: टमाटर लोगों की रोजमर्रा की वस्तुओं मे शामिल है और जब इसके दाम बढ़ते हैं, तो आम लोगों के किचन का बजट गड़बड़ हो जाता है। क्योंकि उनकी जेब पर अधिक बोझ पड़ने लगता है। भारत में किसी भी तरह की जमाखोरी एक अपराध है।
Hoarding Commodities
Rule for Hoarding Stocks: देश के कुछ हिस्सों में टमाटर की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिल रही है। टमाटर लोगों की रोजमर्रा की वस्तुओं मे शामिल है और जब इसके दाम बढ़ते हैं, तो आम लोगों के किचन का बजट गड़बड़ हो जाता है। क्योंकि उनकी जेब पर अधिक बोझ पड़ने लगता है। लेकिन अक्सर सुनने को मिलता है कि जैसे की टमाटर प्याज या अन्य रोजमर्रा की वस्तओं की कीमतें बढ़ती हैं, तो फिर जमाखोरी शुरू हो जाती है और फिर इसकी कालाबाजारी होती है। हालांकि, भारत में जमाखोरी को लेकर क्या है नियम और कानून बने हैं।
अपराध है जमाखोरी
भारत में किसी भी तरह की जमाखोरी एक अपराध है। जैसे ही किसी वस्तु के कम होने की आशंका गहराती है, ऐसे में दुकनदार या उस वस्तु के कारोबार से जुड़े लोग इसे भारी मात्रा में खरीद लेते हैं। फिर जब चीज मार्केट में उपलब्ध नहीं होती है, तो वे उसे ऊंचे दामों पर बेचते हैं। क्योंकि लोगों के पास कोई और विकल्प बचता नहीं है। इसलिए वे अधिक पैसे देकर खरीदते हैं।
हालांकि, अगर देश की बड़ी कंपनियां किसी वस्तु को स्टॉक भारी मात्रा में कर लेती हैं, तो उनके खिलाफ एक्शन नहीं लिया जा सकता है। लेकिन अगर कोई दुकानदार राशन जमा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
जमाखोरी करने वाले के खिलाफ होती है कार्रवाई
देश में साल 1980 में कालाबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के संबंध में अधिनियम बनाया गया था। इस कानून के तहत जमाखोरी करने वाले लोगों पर एक्शन लिया जाता है। अगर कोई किसी वस्तु को जमाखोरी कर उसे ऊंची कीमत पर बेचते हुए पकड़ा जाता है, तो अधिनियम की धारा 3(2) के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
कौन देता है कार्रवाई का आदेश
कालाबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के संबंध वाले अधिनियम के तहत संयुक्त सचिव या उससे नीचे के किसी अधिकारी को लगता है कि कोई दुकानदार या बाजार का बिक्रेता नियमों का उल्लंघन कर रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे सकता है। आदेश जारी होने के सात दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करनी होती है। इसके बाद आरोपी को अपना पक्ष रखने के लिए मौका दिया जाता है। अगर आरोप सही साबित होता है, हिरासत 6 महीने तक के लिए बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
हालांकि, जमाखोरी को लेकर राज्यों में भी कानून है उसके अनुसार भी कार्रवाई की जा सकती है। साल 2022 में जमाखोरी के कानून को और सख्त बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा था।
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Rohit Ojha author
रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर ...और देखें
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