आम क्यों बना ग्राहक से लेकर FSSAI तक के लिए सिरदर्द, कैसे खराब हो रहा आम आदमी का स्वाद

Adulterated Mangoes: इसी मौसम में आम पकते हैं और बाजार में बिकते हैं। लेकिन आज के समय में आम भी खाना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि मार्केट में प्रतिबंधित केमिकल से पकाए गए आम बिक रहे हैं। यह प्राकृतिक रूप से पकाने की तुलना में विक्रेताओं के लिए यह तेज और मुनाफे वाला ऑप्शन है।

Adulterated Mangoes

Adulterated Mangoes

Adulterated Mangoes: भारत के लोगों को आम से बेहद लगाव है। गर्मी के मौसम में लोग जमकर आम खाते हैं, क्योंकि इसी मौसम में आम पकते हैं और बाजार में बिकते हैं। लेकिन आज के समय में आम भी खाना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि मार्केट में प्रतिबंधित केमिकल से पकाए गए आम बिक रहे हैं। मई में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कोयंबटूर में फलों की दुकानों से 12.91 लाख रुपये मूल्य के 16.1 टन आम जब्त किए, क्योंकि आम को एथिलीन पाउच का उपयोग करके गलत तरीके से पकाया गया था। मार्च में हैदराबाद में अधिकारियों ने आर्टिफिशियल रूप से पकाए गए और FSSAI के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए 3,860 किलोग्राम आम जब्त किए थे।

कैल्शियम कार्बाइड

यह सब तब हुआ है जब खाद्य नियामक हर साल व्यापारियों और खाद्य व्यापार संचालकों को फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड, जो एक प्रतिबंधित उत्पाद है, का उपयोग नहीं करने की चेतावनी देती है। FSSAI फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस के इस्तेमाल की अनुमति देती है। इसके इस्तेमाल को लेकर भी गाइड बुक जारी की गई है।

खतरों से अनजान हैं लोग

ईटी में छपी एक खबर में विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड (एसिटिलीन गैस) का उपयोग भारी मात्रा में किया जा रहा है। क्योंकि यह एथिलीन गैस से सस्ता है। यह प्राकृतिक रूप से पकाने की तुलना में विक्रेताओं के लिए यह तेज और मुनाफे वाला ऑप्शन है। आर्टिफिशियल रूप से पके हुए आमों का एक बाजार है, क्योंकि ज्यादातर विक्रेता और खरीदार स्वास्थ्य संबंधी खतरों से अनजान हैं या परवाह नहीं करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे फल व्यापारियों की अधिक संख्या के कारण मॉनिटरिंग, कंट्रोल और इंफोर्समेंट की कमी अधिकारियों के लिए प्रभावी रूप से नियमों को लागू करना मुश्किल बनाती है।

कानून की अनदेखी

असंगठित क्षेत्र के बहुत से व्यापारी FSSAI के नियमों से अनजान हैं। ईटी के अनुसार, देसाई एंड दीवानजी की पार्टनर अल्पना श्रीवास्तव कहती हैं कि 2017 में हैदराबाद और दिल्ली में स्ट्रीट-फूड विक्रेताओं द्वारा अपनाए जाने वाले खाद्य सुरक्षा मानकों पर एक स्टडी में पाया गया कि केवल एक तिहाई विक्रेताओं ने ही खाद्य-विक्रय दुकानें चलाने के लिए FSSAI के तहत खुद को रजिस्टर कराया था,और ज्यादातर स्ट्रीट-फूड विक्रेता बुनियादी खाद्य सुरक्षा सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहे थे। फल विक्रेताओं के लिए FSSAI लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश विक्रेताओं को लाइसेंस नहीं होता है, क्योंकि वे इसे नजरअंदाज कर कानून की अनदेखी करना चुनते हैं।

क्यों इस्तेमाल हो रहा कार्बाइड

एशिया की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी, दिल्ली की आजादपुर मंडी में एक आम व्यापारी का कहना है कि कई व्यापारी फलों को मीठा करने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इससे यह प्रक्रिया तेज हो जाती है। इस मंडी में रहने वाले व्यापारी कहते हैं कि आमों को प्राकृतिक रूप से पकने में लगभग 10 दिन लगते हैं। एथिलीन गैस के संपर्क में आने से फल 5 दिनों में पक जाते हैं, लेकिन कैल्शियम कार्बाइड से यह काम सिर्फ 2-3 दिनों में हो जाता है। इसके अलावा, कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल करना आसान है और यह आसानी से उपलब्ध है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | यूटिलिटी (utility-news News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

Rohit Ojha author

रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited