Credit Card: कैसे बदल सकते हैं अपने क्रेडिट कार्ड का बिलिंग सायकल, जानें क्या है इसका फायदा

Credit Card Billing Date: कंज्यूमर्स की मांग थी कि कार्डधारकों को अपने क्रेडिट कार्ड के बिलिंग सायकिल को बदलने के लिए ऑप्शन दिया जाना चाहिए। अगर आपके पास एक से अधिक क्रेडिट कार्ड है और उनकी बिलिंग डेट अलग-अलग है, तो इसे आप बदलकर एक ही दिन कर सकते हैं।

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Credit Card: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मास्टर डायरेक्शन क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड जारी करने और बिलिंग साइयकल को लेकर बड़ा बदलाव किया है। नए बदलाव 7 मार्च, 2024 से लागू हैं। कंज्यूमर्स की मांग थी कि कार्डधारकों को अपने क्रेडिट कार्ड के बिलिंग सायकिल को बदलने के लिए ऑप्शन दिया जाना चाहिए। कई बदलावों के बीच, नए आरबीआई नियमों में कहा गया है कि कार्डधारक को कम से कम एक बार बिलिंग सायकल की शुरुआत या समापन तिथि के रूप में कोई भी तारीख चुनने का विकल्प प्रदान किया जाएगा।

कैसे बदल सकते हैं बिलिंग सायकल

रिजर्व बैंक के अनुसार, कार्ड-जारी करने वाले बैंक या अन्य संस्थान हेल्पलाइन नंबर, ईमेल-आईडी, इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईवीआर), इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल एप्लिकेशन और किसी अन्य मोड के जरिए बिलिंग सायकल को संशोधित करने का विकल्प प्रदान कर सकते हैं। कार्ड होल्डर अपनी सुविधा के हिसाब से बिलिंड डेट तय कर सकते हैं। अगर आपके पास एक से अधिक क्रेडिट कार्ड है और उनकी बिलिंग डेट अलग-अलग है, तो इसे आप बदलकर एक ही दिन कर सकते हैं।

क्या है शर्त

आगर आप अपने कार्ड का बिलिंड डेट बदलना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको आउटस्टैंडिंग क्लीयर करना होगा। इसके बाद आप अपने कार्ड जारी करने वाले बैंक को मेल कर या फोन कर बिलिंड डेट बदलने के लिए परमिशन मांग सकते हैं और फिर इसे बदल सकते हैं।

क्या है फायदा

क्रेडिट कार्ड बिलिंग सायकिल को कंट्रोल करने के कई लाभ हैं। बिलिंग सायकल दो लगातार स्टेटमेंट तिथियों के बीच की अवधि है। स्टेटमेंट का दिन वह दिन होता है जब आपका चालू माह का क्रेडिट कार्ड बिल जेनरेट होता है और यह एक निश्चित मासिक तिथि पर किया जाता है। बिल का भुगतान करने की नियत तारीख आमतौर पर स्टेटमेंट तैयार होने के 10-15 दिन के बाद की होती है।

ब्याज मुक्त अवधि

इसका मतलब यह है कि कार्डहोल्डर को अनिवार्य रूप से 45 दिनों तक की ब्याज मुक्त अवधि मिलती है, जिसमें बिलिंग सायकल के 30 दिन और देय तिथि तक 10-15 दिन शामिल होते हैं। नियत तारीख पर भुगतान नहीं की गई राशि पर ब्याज लगता है और नियत तारीख के बाद किए गए किसी भी भुगतान पर क्रेडिट-मुक्त अवधि नहीं मिलती है।
अगर कोई कार्डहोल्डर पेमेंट की तय तारीख के भीतर कुल बकाया राशि का भुगतान नहीं करता है, तो ब्याज मुक्त क्रेडिट अवधि समाप्त हो जाएगी। फिर बकाया राशि पर लेनदेन की तारीख से ब्याज लगाया जा सकता है कुल देय राशि पर नहीं।
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