Chole Bhature: छोले-भटूरे तो खूब खाते हैं, लेकिन भारत में ये कहां से आया... आज जान भी लीजिए

Chole Bhature in India: उत्तर भारत के हर एक चौक-चौराहों पर आपको छोले भटूरे मिल जाएंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में छोले भटूरा पहुंचा कैसे। ​मुगल मुगल साम्राज्य ने भारत में कई स्वादिष्ट व्यंजन पेश किए और ऐसा माना जाता है कि छोले भटूरे उनमें से एक है।

Chole Bhature

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Chole Bhature: उत्तर भारत के लगभग हर हिस्से में छोले भटूरे खूब पसंद किए जाते हैं। छोले भटूरे कई लोगों का फसंदीदा फूड। भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली भी छोले भटूरे के दीवाने हैं। उत्तर भारत के हर एक चौक-चौराहों पर आपको छोले भटूरे मिल जाएंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में छोले भटूरा पहुंचा कैसे।

ऐसा कहा जाता है कि साल 1947 के बंटवारे के दौरान सीता राम अपने बेटे दीवान चंद के साथ पश्चिमी पंजाब से दिल्ली आए थे। उन्होंने छोले भटूरे बेचने का कारोबार शुरू किया। शुरुआत में यह सफल रहा जिससे उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिली।

कैसे पहुंचा भारत

मुगल मुगल साम्राज्य ने भारत में कई स्वादिष्ट व्यंजन पेश किए और ऐसा माना जाता है कि छोले भटूरे उनमें से एक है। इस व्यंजन की उत्पत्ति का पता मध्य पूर्व में लगाया जा सकता है, जहां चना मसाला (स्वादयुक्त छोले) नामक एक समान व्यंजन था। यह व्यापार रूट के विस्तार के साथ भारत में आया और कहा जाता है कि मुगलों ने भारत को छोले भटूरे से परिचित कराया। साल 1947 में बंटवारे के दौरान बहुत से लोग इधर से उधर आए और गए। पेशोरी लाल लांबा उनमें से एक थे, जो लाहौर से दिल्ली आए और कनॉट प्लेस में प्रतिष्ठित क्वालिटी रेस्तरां की स्थापना की।

ढाबों से हुआ फेमस

यहीं से दिल्ली और शेष उत्तर भारत में छोले भटूरे की शुरुआत हुई। ऐसा माना जाता है कि लांबा शुरू में छोले बेचते थे और बाद में उन्होंने भटूरे की शुरुआत की। इसलिए उन्हें इसका अग्रणी माना जाता है। 20वीं सदी के अंत में ढाबों (सड़क किनारे के लोकप्रिय भोजनालयों) की बदौलत लोकप्रिय हुए। जबकि यह मुख्य रूप से उत्तर भारत से जुड़ा है। देश के दक्षिणी हिस्से ने भी छोले भटूरे को स्वीकार करना और पसंद करना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के शहर उडुपी में कई रेस्तरां इस डिश को परोसते हैं।

छोले भटूरे दिवस

हर साल 2 अक्टूबर को भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में छोले भटूरे दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत तब हुई जब दिल्ली के शशांक अग्रवाल ने 2 अक्टूबर 2012 को छोले प्रेमियों के लिए इस व्यंजन के प्रति अपना प्यार साझा करने के लिए फेसबुक पेज और ब्लॉग बनाए। तब से हर साल, लोग और इसकी तैयारी के बारे में तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते हैं।

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