कैसे मिलता है बंदूक का लाइसेंस, इनकी मंजूरी सबसे जरूरी, ये है प्रॉसेस
How To Get Gun License: भारत में हथियारों के नियमों को रेगुलेट करने के लिए 1959 में शस्त्र अधिनियम पास किया था। इस अधिनियम का असल मकसद अवैध हथियारों के इस्तेमाल के साथ-साथ इनके कारण होने वाली हिंसा को कम और खत्म करना था।
गन लाइसेंस कैसे प्राप्त करें
- गन लाइसेंस मिलना नहीं है आसान
- होती है लंबी प्रॉसेस
- कई हथियार रखने पर है पाबंदी
How To Get Gun License: भारत में आम तौर पर लोगों के पास हथियार नहीं होता। खासकर शहरी क्षेत्रों में कम ही लोगों के पास हथियार होता है। ग्रामीण इलाकों में भी बहुत कम लोगों के पास ही हथियार होते हैं।
अमेरिका जैसे देश के उलट भारत में बंदूक रखने के कानून बहुत सख्त हैं। इन्हें शस्त्र अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959) द्वारा रेगुलेट किया जाता है। भारत में बंदूक रखने के अधिनियम और लाइसेंस लेने की प्रॉसेस के बारे में बताएंगे।
क्या है शस्त्र अधिनियम, 1959
भारत में हथियारों के नियमों को रेगुलेट करने के लिए 1959 में शस्त्र अधिनियम पास किया था। इस अधिनियम का असल मकसद अवैध हथियारों के इस्तेमाल के साथ-साथ इनके कारण होने वाली हिंसा को कम और खत्म करना था।
शस्त्र अधिनियम, 1959, शस्त्र अधिनियम, 1878 के स्थान पर लाया गया था और आज तक, यही भारत में बंदूक रखने से जुड़े नियमों को रेगुलेट करता है। हालांकि 1959 के बाद से, इस अधिनियम को कई बार बदला गया है। आखिरी बदलाव 2010 में हुआ था।
दो तरह के होते हैं लाइसेंस
प्रतिबंधित/प्रोहिबिटेड बोर (पीबी) लाइसेंस (Prohibited Bore License) : आम लोग कुछ हथियारों का उपयोग नहीं कर सकते, जो केवल सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और केवल स्पेसिफिक लोग ही उनका उपयोग कर सकते हैं।
गैर-प्रतिबंधित/नॉन-प्रोहिबिटेड बोर (Non-Prohibited Bore License) : वे हथियार जिनका उपयोग आम लोग कर सकते है और जिन्हें सरकार जारी करती है।
किसे मिल सकता है गन लाइसेंस
- आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए
- आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए
- आवेदक को हथियार रखने का ठोस कारण बताना होगा
- निशानेबाजी के लिए खिलाड़ियों को हथियार का लाइसेंस मिल जाता है
कौन जारी करता है लाइसेंस
राज्य सरकारों का गृह विभाग गन लाइसेंस जारी करने का अधिकार रखता है। बाकी अलग-अलग राज्यों में डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) यानी जिलाधिकारी, जिला कलेक्टर, कमिश्नर या इसी रैंक का कोई अधिकारी लाइसेंस जारी कर सकता है। स्थानीय पुलिस थाना और लोकल इंफॉर्मेशन यूनिट लाइसेंस जारी करने में बहुत अहम होती है, जो आवेदक की जानकारी जुटाती है।
देनी होगी ये जरूरी जानकारी
आपको आवेदन के समय ये बताना होगा कि आपको कौन सा हथियार चाहिए। इनमें पिस्तौल या रिवॉल्वर के अलावा राइफल, एकनाली या दोनाली बंदूक शामिल हैं। 38 बोर, 9 एमएम और 303 जैसे हथियार लाइसेंस में शामिल नहीं हैं, क्योंकि प्रोहिबिटेड या प्रतिबंधित हैं।
क्या है प्रॉसेस
- सबसे पहले, आपको ऐप्लिकेशन फॉर्म भरना होगा और इसे शुल्क के साथ संबंधित अथॉरिटी को भेजना होगा। कई राज्य ऑनलाइन आवेदन की भी सुविधा देते हैं। शहरी क्षेत्र के लोगों को इसे डी.सी.पी. लाइसेंसिंग के पास भेजना होगा और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इसे अपने लोकल सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को भेजना होगा
- फिर पुलिस आपकी हिस्ट्री वेरिफाई करेगी। आपका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं ये देखा जाएगा। पुलिस आपके व्यक्तित्व और व्यवहार के बारे में जानने के लिए आपके पड़ोसियों से भी बात कर सकती है
- वेरिफिकेशन प्रॉसेस के बाद, आपको यह तय करने के लिए हेल्थ चेकअप से गुजरना होगा कि आपको कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी है या नहीं
- आपका इंटरव्यू लिया जाएगा और रिपोर्ट अपराध शाखा और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को भेजी जाएगी
गोलियों का हिसाब रखना होगा
सारी जानकारी वेरिफाई होने और सच पाए जाने पर आपको हरी झंडी मिल जाएगी। लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, आपको किसी अधिकृत बंदूक डीलर के पास बंदूक का प्री-ऑर्डर करना होगा। साथ ही, लाइसेंस केवल ऑपरेटिव राज्य में ही मान्य होगा।
एक साल में कितनी गोलियां आपको दी जाएंगी, ये भी तय होता है। गोलियां कहां खर्च हुईं, आपको ये रिकॉर्ड और गोली का खाली खोखा रखना होगा। इसकी जानकारी भी देनी होगी, वरना नई गोलियां नहीं मिलेंगी।
हो सकती है कानूनी कार्रवाई
यदि कोई लाइसेंसधारक दबदबा बनाने के लिए गोली चलाए या लोगों को डराए तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इतना ही नहीं ऐसे व्यक्ति को जेल भी हो सकती है। इस स्थिति में लाइसेंस रद्द और हथियार जब्त हो सकता है।
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