Loan: बिना लोन दिए ही इस बैंक ने ग्राहक से ले ली EMI, अब देना होगा तगड़ा जुर्माना
IDFC Bank: पूछताछ करने पर बैंक ने शिकायतकर्ता को बताया कि उसे एक ईमेल भेजकर बताया गया था कि यह एक ईसीएस भुगतान था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बैंक ने अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और हस्ताक्षर प्राप्त किए बिना धोखाधड़ी से लोन मंजूर कर दिया।
IDFC Bank Loan
IDFC Bank: आईडीएफसी बैंक ने एक व्यक्ति से ऐसे लोन के लिए EMI काट ली, जो उसने कभी लिया ही नहीं था। इस मामले पर एक कंज्यूमर कोर्ट ने बैंक को उस व्यक्ति एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। व्यक्ति नवी मुंबई का रहने वाला है। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (मुंबई उपनगर) ने बैंक को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए उसे ग्राहक को ब्याज सहित 5,676 रुपये की EMI राशि वापस करने के लिए भी कहा। आयोग ने पिछले महीने पारित आदेश को हाल में उपलब्ध कराया।
लोन अकाउंट
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसे पता चला कि बैंक ने फरवरी, 2020 में अपनी पनवेल शाखा में उसके खाते से लोन के लिए ईएमआई काट ली है, जो उसने लिया नहीं था। पूछताछ करने पर बैंक ने शिकायतकर्ता को बताया कि उसे एक ईमेल भेजकर बताया गया था कि यह एक ईसीएस भुगतान था। वह व्यक्ति जब बैंक शाखा में गए, तो उन्हें एक लोन खाता दिया गया। हालांकि, जब उन्होंने खाते में लॉग इन किया, तो उन्हें ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन का एक खत्म हो चुका वाउचर मिला।
धोखाधड़ी से लोन मंजूर
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आईडीएफसी बैंक ने अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और हस्ताक्षर प्राप्त किए बिना धोखाधड़ी से लोन मंजूर कर दिया। उन्होंने दावा किया कि बैंक ने व्यक्तिगत विवरण का दुरुपयोग करके अवैध रूप से 1,892 रुपये की मासिक ईएमआई के साथ 20 महीने की अवधि के लिए 20,000 रुपये का लोन मंजूर किया था। आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता के अमेजन के साथ पत्राचार से पता चला कि उसे वाउचर के लिए बैंक से कोई राशि नहीं मिली है।
खराब हो गया सिबिल स्कोर
उपभोक्ता आयोग ने कहा कि बैंक का यह बर्ताव एक अनुचित व्यापार व्यवहार के अलावा और कुछ नहीं है। आयोग ने कहा कि ऐसे गैरकानूनी कृत्यों के चलते ईएमआई का भुगतान न करने पर शिकायतकर्ता का सिबिल स्कोर खराब हो गया। आयोग ने बैंक को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को काटी गई ईएमआई ब्याज सहित वापस करे और आदेश मिलने के 60 दिन के भीतर उन्हें सेवा में कमी और मानसिक तथा शारीरिक उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये का भुगतान करे।
आदेश में बैंक से शिकायतकर्ता को मुकदमे की लागत के लिए 10,000 रुपये का भुगतान करने और शिकायत से संबंधित सिबिल रिकॉर्ड को साफ करने का निर्देश भी दिया गया।
(इनपुट -भाषा)
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