Income Tax Deduction: होम लोन और सेविंग स्कीम के जरिए कितना बचा सकते हैं इनकम टैक्स, समझ लीजिए हिसाब-किताब

Income Tax Deduction: ज्यादातर टैक्सपेयर्स खासतौर पर हाई इनकम वाले कई तरह की टैक्स सेविंग वाले स्कीम में निवेश करते हैं। ऐसे टैक्सपेयर्स पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनना पसंद करते हैं। इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत डिडक्शन के लिए टैक्सपेयर्स क्लेम कर सकते हैं।

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Income Tax Deduction: एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो रही है। इसके साथ ही टैक्सपेयर्स को नई और पुरानी टैक्स रिजीम में से किसी एक को चुनना होगा। ज्यादातर टैक्सपेयर्स खासतौर पर हाई इनकम वाले कई तरह की टैक्स सेविंग वाले स्कीम में निवेश करते हैं। ऐसे टैक्सपेयर्स पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनना पसंद करते हैं। क्योंकि इसमें इनकम टैक्स में डिडक्शन का लाभ मिलता है। अगर आपने 2024-25 की वित्तीय अवधि के लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुना है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप समझ लें कि कितना डिडक्शन के लिए आप क्लेम कर सकते हैं।

80C के तहत डिडक्शन

इनकम टैक्स की धारा 80C के चहत टैक्सपेयर्स को 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन की छूट देती है। इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत डिडक्शन के लिए टैक्सपेयर्स क्लेम कर सकते हैं। बता दें कि डिडक्शन का लाभ सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनने वालों को ही मिलेगा। टैक्सपेयर्स 80C के तहत पात्र निवेश के लिए 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का दावा कर सकते हैं।

सेविंग स्कीम में निवेश का लाभ

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) जैसी स्कीम में निवेश कर आप टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं। ईपीएफ खाते में कर्मचारियों का योगदान धारा 80C के तहत कटौती के लिए पात्र है। नियोक्ता का योगदान भी टैक्स फ्री है, लेकिन यह धारा 80C के तहत डिडक्शन के लिए पात्र नहीं है। पीपीएफ में निवेश करने वाले टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत डिडक्शन के लिए पात्र हैं। इस स्कीम में निवेश की अधिकतम सीमा 1.50 लाख रुपये प्रति वित्तीय वर्ष है। मौजूदा ब्याज दर 7.1 फीसदी है।
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