AI: डिजिटल सर्विस के विस्तार के लिए भारत पसंदीदा डेस्टिनेशन, कंपनियों ने AI और मशीन लर्निंग पर खर्च बढ़ाया

AI: बीते वर्ष देश में 71 प्रतिशत इंटरप्राइजेज ने अपने तकनीकी खर्च का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा डिजिटल पर खर्च किया। भारत अपने डिजिटल सेवाओं के पोर्टफोलियो को बनाने और विस्तार देने का लक्ष्य रखने वाली कंपनियों के लिए पसंदीदा ‘आउटसोर्सिंग’ डेस्टिनेशन बना हुआ है।

AI Digital Services

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टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के टॉप संगठन नैसकॉम ने सोमवार को कहा कि डिजिटल सेवाओं का विस्तार करने वाले उद्यमों के लिए भारत टॉप प्राथमिकता वाला देश बना हुआ है। साथ ही यह उम्मीद है कि कंपनियां एआई, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा पर खर्च बढ़ाएंगी। नैसकॉम ने यह बात ‘डिजिटल उद्यमों की परिपक्वता 5.0: एआई के युग में डिजिटल तैयारी’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कही है। यह 11 प्रमुख क्षेत्रों और सात प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में 550 वेंचरों के सर्वे पर आधारित है।

डिजिटल पर खर्च बढ़ा

सर्वे में पाया गया कि बीते वर्ष देश में 71 प्रतिशत इंटरप्राइजेज ने अपने तकनीकी खर्च का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा डिजिटल पर खर्च किया। इसमें कहा गया है कि लगभग 90 फीसदी कंपनियों ने 2024 में एआई, मशीन लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और इंटेलिजेंट ऑटोमेशन सहित प्रमुख डिजिटल प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने की योजना का संकेत दिया है।

डिजिटल प्रतिभा पर अधिक जोर

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही तक कंपनियों का ध्यान मुख्य रूप से साइबर सुरक्षा की ओर होने की उम्मीद है। इसका कारण काफी संख्या में कंपनियों ने ‘जेनेरिक एआई’ अपनाने की बात कही है। यह बीते साल एक प्रमुख तकनीक के रूप में उभरी है। नैसकॉम ने कहा कि ‘जेनरेटिव एआई’ में जो प्रगति हुई है, उसमें डिजिटल प्रतिभा पर अधिक जोर दिया गया है। सर्वे में 83 प्रतिशत उद्यमों ने कहा कि उनके कुल कार्यबल का छह प्रतिशत से अधिक डिजिटल भूमिकाओं में हैं।

डिजिटल सर्विस कॉन्ट्रैक्ट का विस्तार

रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई), उच्च प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, मीडिया और मनोरंजन के साथ ही ऊर्जा और बिजली कंपनियों जैसे क्षेत्र अपने डिजिटल सर्विस कॉन्ट्रैक्ट का विस्तार कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि भारत अपने डिजिटल सेवाओं के पोर्टफोलियो को बनाने और विस्तार देने का लक्ष्य रखने वाली कंपनियों के लिए पसंदीदा ‘आउटसोर्सिंग’ डेस्टिनेशन बना हुआ है। यात्रा और परिवहन, दूरसंचार, मीडिया और मनोरंजन तथा निर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्रों की 50 प्रतिशत से अधिक कंपनियां अपनी ‘आउटसोर्सिंग’ जरूरतों के लिए इसे चुन रही हैं।

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