अगर समुद्र न होता तो नहीं होता इंटरनेट, इस सीक्रेट कनेक्शन के बारे में कितना जानते हैं आप
इंटरनेट अपने आप में बहुत ही कमाल की चीज है। न कोई तार, न ही झंझट बस वायरलेस नेटवर्क की मदद से आप दुनिया के किसी कोने में कॉल कर सकते हैं या फिर सोशल मीडिया पर किसी और देश के लोगों से दोस्ती कर सकते हैं। लेकिन क्या आपको समुद्र और इंटरनेट के बीच का कनेक्शन पता है। ज्यादातर लोगों को ये जानकारी नहीं है।
क्या आपको पता है इंटरनेट और समुद्र के बीच मौजूद कनेक्शन?
Internet Cable In Sea: इंटरनेट भी क्या कमाल की चीज है न? न कोई वायर, न कहीं तार लगाने का झंझट बस तेज-तर्रार वायरलेस नेटवर्क। लेकिन क्या आपको समुद्र और इंटरनेट का कनेक्शन पता है? बहुत से लोगों को शायद ये न पता हो लेकिन समुद्र की गहराइयों में 15 लाख किलोमीटर लंबी तारें बिछी हुई हैं और इन तारों की वजह से ही हमारे मॉडर्न इंटरनेट को ताकत मिलती है। आइये जानते हैं कि आखिर इन तारों के जाल को बिछाना कब शुरू किया गया था और इन्हें समुद्र में ही क्यों बिछाया गया।
थोड़ा सा इतिहासइन तारों को सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल कहा जाता है। सबसे पहले ये तार फ्रांस और इंग्लैंड के बीच लगभग साल 1850 में बिछाई गई थी। इसके बाद दुनिया में पहली बार ट्रांस-अटलांटिक टेलीग्राफ केबल लंदन और उत्तरी अमेरिका के बीच बिछाई गई और पहली बार 10 घंटों में 143 शब्दों को ट्रांसमिट किया गया। इसी तरह धीरे-धीरे दुनिया को बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी तार बिछाई गई।
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पानी से कैसे बचती है तार?दरअसल ये सबमरीन ऑप्टिक फाइबर तारें सिलिका ग्लास के फाइबर से बनी हुई होती हैं और इनमें कई लेयर्स मौजूद होती हैं। ये तारें हमारे घरों के वाईफाई में मिलने वाली ऑप्टिक फाइबर से काफी बेहतर होती हैं और एक बारे में बहुत सारा डेटा ट्रान्सफर कर सकती हैं। इन तारों को दोनों तरफ से 20 हजार वाट बिजली की पावर प्रदान की जाती है और पानी से इन्हें बचाने के लिए इनपर कई लेयर प्लास्टिक और रबड़ का इन्सुलेशन मौजूद होता है।
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पवन कुमार मिश्रा Timesnowhindi.com के साथ फरवरी 2024 से बतौर सीनियर कॉपी एडिटर के रूप में जुड़े हैं। जन्म दिल्ली में हुआ और शिक्षा भी यहीं से पूरी की ह...और देखें
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