क्या है KFS जिससे आपको मिलेगी लोन की बेहतर जानकारी? RBI ने किया आवश्यक

भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में सभी रेगुलेटेड वितीय संस्थाओं के लिए की फैक्ट स्टेटमेंट यानी KFS को आवश्यक कर दिया है। बैंक द्वारा ऐसा बेहतर पारदर्शिता के लिए किया गया है लेकिन क्या आपको पता है कि KFS क्या होता है?

RBI लेकर आया KFS मैंडेट, इसके बारे में कितना जानते हैं आप?

KFS Mandate Definition: वित्तीय समझ को प्रमोट करने और वितीय सिस्टम में बेहतर पारदर्शिता के लिए भारत के केंद्रीय बैंक ने सभी वित्तीय संस्थाओं के लिए ‘की फैक्ट स्टेटमेंट’ यानी KFS को आवश्यक कर दिया है। बैंक का कहना है कि रिटेल एवं MSME सेगमेंट के कारोबारों को लोन जारी करते हुए KFS प्रदान करवाना वित्तीय संस्थाओं के लिए जरूरी है। इसके साथ ही RBI ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि KFS में वार्षिक परसेंटेज रेट यानी APR और लोन की रिकवरी से संबंधित सारी जानकारी मौजूद होनी चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि KFS क्या है और इससे आपको क्या फायदा होगा?

क्या है KFS?

KFS का विस्तृत रूप ‘की फैक्ट स्टेटमेंट’ है और लोन लेने के दौरान यह काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक जरूरी डॉक्यूमेंट होता है जिसमें लोन से संबंधित सभी जरूरी शर्तों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया होता है। लोन अग्रीमेंट से संबंधित सारी जरूरी जानकारी इस डॉक्यूमेंट में मौजूद होती है। लोन की कुल लागत और रिकवरी के तरीके के साथ-साथ KFS में वार्षिक परसेंटेज रेट से संबंधित आवश्यक जानकारी भी मौजूद होती है।

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