EPFO मेंबर्स के लिए बड़ी खुशखबरी, कोर्ट ने सरकारी संस्था को दिया वेबसाइट में बदलाव करने का आदेश

केरल हाई कोर्ट ने सरकारी संस्था ईपीएफओ को आदेश दिया है कि वे अपने पोर्टल पर ऐसी व्यवस्था करें, जिससे कर्मचारियों और पेंशनर्स को ज्यादा योगदान का ऑप्शन चुनने के लिए पूर्व सहमति का प्रमाण देने की जरूरत न पड़े। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर ऐसा संभव नहीं है तो कोई दूसरा उपाय करें।

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कर्मचारियों और पेंशनर्स के हित को ध्यान में रखते हुए केरल हाई कोर्ट ने ईपीएफओ को पोर्टल में जरूरी बदलाव करने के लिए कहा है

मुख्य बातें
  • कोर्ट ने EPFO मेंबर्स को दी बड़ी राहत
  • EPFO को पोर्टल में बदलाव करने का आदेश
  • संभव न होने पर दूसरा उपाय करने के लिए कहा

EPFO Contribution: केरल उच्च न्यायालय ने ईपीएफ मेंबर्स के हित को ध्यान में रखकर गुरुवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को बड़ा आदेश दिया। कोर्ट ने ईपीएफओ से कहा कि वे अपने पोर्टल में ऐसी व्यवस्था करें जिससे कर्मचारियों और पेंशनर्स को पूर्व सहमति (Prior Consent) का प्रमाण दिए बगैर ज्यादा कॉन्ट्रिब्यूशन का ऑप्शन चुनने की अनुमति मिले।

जस्टिस जियाद रहमान एए ने ईपीएफओ को दिए अंतरिम आदेश

जस्टिस जियाद रहमान एए ने बुधवार को कर्मचारियों और पेंशनर्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये अंतरिम आदेश दिया। याचिका में दावा किया गया था कि ज्यादा योगदान का ऑप्शन चुनते समय पूर्व सहमति की एक कॉपी देनी होती है, जो ईपीएफ योजना, 1952 के तहत अनिवार्य है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह की अनुमति देने के लिए ईपीएफओ ने कभी भी जोर नहीं दिया और वे ज्यादा योगदान को स्वीकार कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने तय की थी 3 मई की आखिरी तारीख

उन्होंने कहा कि वे इस नियम की वजह से ऑनलाइन फॉर्म में उस कॉलम को नहीं भर पा रहे हैं और पूर्व सहमति का प्रमाण दिए बिना वे इसे सब्मिट नहीं कर पा रहे हैं। यदि वे 3 मई की आखिरी तारीख से पहले ऐसा नहीं करते हैं तो वे योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्यादा योगदान का विकल्प चुनने के लिए 3 मई तक का समय दिया है।

ईपीएफओ ने अपनी दलील में दिया ये तर्क

ईपीएफओ ने दलीलों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि लाभ पाने के लिए पूर्व सहमित एक ”महत्वपूर्ण आवश्यकता” है। सभी की दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत मिलनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि पोर्टल में बदलाव नहीं किया जा सकता तो ऑफलाइन आवेदन जमा करने जैसे अन्य विकल्प उपलब्ध कराये जाएं। इसमें कहा गया है कि ये सुविधाएं उच्च न्यायालय के 12 अप्रैल के आदेश की तारीख से 10 दिनों के भीतर सभी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उपलब्ध कराई जाए।

पीटीआई इनपुट्स के साथ

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    सुनील चौरसिया author

    मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स नाउ नवभारत में बिजनेस, यूटिलिटी और पर्सनल फाइनेंस पर...और देखें

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