Mutual Fund Vs RD: क्या है इन्वेस्टमेंट का बेहतर ऑप्शन
पिछले कुछ समय के दौरान म्यूचुअल फंड्स लोगों के लिए आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के रूप में उभरे हैं। दूसरी तरफ रेकरिंग डिपॉजिट योजनाएं भी है और इन्हें भी लोग काफी पसंद करते हैं। इन्वेस्टमेंट के दोनों ही ऑप्शंस में कुछ बातें समान है तो कुछ अंतर भी हैं। आईए जानते हैं म्यूचुअल फंड्स और रेकरिंग डिपॉजिट योजनाओं में क्या अंतर है।
क्या है इन्वेस्टमेंट का बेहतर ऑप्शन?
Mutual Fund Vs RD: पिछले कुछ समय के दौरान म्यूचुअल फंड्स इन्वेस्टमेंट के आकर्षक ऑप्शन के रूप में लोगों के सामने आए हैं। म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से आप सिक्योरिटीज, बॉन्ड्स, कमोडिटी और इक्विटी में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड्स कॉफी यूजर फ्रेंडली भी हैं, जिस वजह से यह लोगों के बीच काफी पॉपुलर हुए हैं। दूसरी तरफ रेकरिंग डिपॉजिट योजनाएं भी हैं। इन्हें भी पिछले कुछ समय के दौरान लोग एक आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के रूप में देखने लगे हैं। रेकरिंग डिपॉजिट योजना में आपको म्यूचुअल फंड वाली फ्लैक्सिबिलिटी भी मिलती है और म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले ज्यादा सुरक्षा भी। लेकिन अगर आपको इन दोनों ही ऑप्शंस में से किसी एक को चुनना हो तो आपके लिए बेहतर क्या है? आई जानने की कोशिश करते हैं।
म्यूचुअल फंड्स और RD
रेकरिंग डिपॉजिट योजनाओं में आपको हर महीने एक तय अमाउंट इन्वेस्ट करना होता है। RD में इन्वेस्ट करने से नियमित रूप से इन्वेस्ट करने की आदत बनती है। RD में इन्वेस्टमेंट की शुरुआत आप मात्र ₹10 से भी कर सकते हैं। विभिन्न बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं द्वारा 6 महीने से लेकर 10 साल तक की RD योजनाएं ऑफर की जाती हैं। इस वक्त देश में मौजूद विभिन्न RD योजनाओं में आपको 5.8% से 7.8% प्रतिशत सालाना ब्याज मिल रहा है। जैसा कि हमने आपके ऊपर बताया म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से आप सिक्योरिटीज बॉन्ड इक्विटी और कमोडिटी में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। जिस किसी भी एसेट को आप चुनते हैं मार्केट में उसकी परफॉर्मेंस के आधार पर म्यूचुअल फंड्स आपको रिटर्न देते हैं।
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दोनों ऑप्शन में मौजूद प्रमुख अंतर
रेकरिंग डिपॉजिट योजनाओं में आपको नियमित तौर पर एक तय समय के अंतराल पर इन्वेस्ट करना होता है। दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड्स में आप साप्ताहिक, मासिक, तिमाही में एक बार या 6 महीने में एक बार भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। रोड योजनाओं में मिलने वाला ब्याज बैंक द्वारा दिया जाता है जबकि म्यूचुअल फंड्स में यह ब्याज मार्केट में एसेट की परफॉर्मेंस पर आधारित होता है। म्युचुअल फंड्स क्योंकि मार्केट से लिंक्ड होते हैं इसलिए इनमें रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है। दूसरी तरफ RD में आपको बैंक या फिर वित्तीय संस्था की गारंटी भी मिलती है और यहां आपका पैसा किसी भी तरह मार्केट से लिंक्ड नहीं है इसलिए यह ज्यादा सेफ होता है।
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