Rail Facts: क्या होता है रेल में लगाया गया fog safe device, धुंध में होने वाली दुर्घटना से कैसे करता है अलर्ट
how fog save device Work In Railways: सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ ही ट्रेन के लेट लतीफ होना शुरू हो जाता है। हालांकि भारतीय रेलवे इस समस्या से निपटने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है। रेलवे ने ट्रेनों में फॉग सेव डिवाइस लगा दिया है। यह ना केवल ट्रेन के हादसों को रोकेने में कामयाब होगी बल्कि ट्रेन को लेट लतीफ होने से भी बचाएगी।
क्या है फॉग सेव डिवाइस, कैसे करता है काम
मुख्य बातें
- अब घने कोहरे में भी नहीं कम होगी ट्रेन की रफ्तार।
- ट्रेनों में लगे हैं फॉग सेव डिवाइस।
- यह लोकोपायलट को आने वाले सिग्नल्स और क्रॉसिंग की देता है जानकारी।
Fog Safe Device In Railways: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड समेत भारत के अन्य राज्यों में ठंड ने दस्तक दे दिया है। वहीं कोहरे का असर भी अब साफ देखने को मिल रहा है। धुंध का असर ना केवल लोगों पर और यातायात साधन पर पड़ता है बल्कि इसका असर ट्रेनों (Railway) पर भी देखा जाता है। यही कारण है कि सर्दियों में ट्रेन हादसे बढ़ने लगते हैं। लेकिन आपको बता दें अब रेलवे को तीसरी आंख मिल (Fog Safety Device) गई है। जी हां यह ना केवल ट्रेन के हादसों को रोकेने में कामयाब होगी बल्कि ट्रेन को लेट लतीफ होने से भी बचाएगी। दरअसल रेलवे एक ऐसा तकनीक इस्तेमाल कर रहा है, जो कोहरे में भी आगे के रास्ते की जानकारी देता है यानी आगे सिग्नल है, या रेलवे ब्रिज लोकोपायलट को जीपीएस के जरिए सबकुछ पता चल जाता है। इस डिवाइस का नाम है रेलवे फॉग डिवाइस। इससे लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी मदद मिलती है।
बता दें यह एक बैटरी ऑपरेटेड डिवाइस होता है, जिसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है। इसमें जीपीएस की सुविधा भी मौजूद होती है। इस डिवाइस में एंटीना लगा होता है, जिसे ट्रेन के इंजन के आगे लगा दिया जाता है। यह एंटीना आगे की लोकेशन को कैच करता है। साथ ही लोकोपायलट को खतरनाक जोन से अवगत करवाता है और आने वाले सिग्नल के बारे में बताता है। इस डिवाइस में एक चिप लगा होता है, जिसमें रेलवे के संबंधित रूट का डाटा इंस्टॉल होता है। इसमें रेलवे के रूट में पड़ने वाले सिग्नल, रेलवे स्टेशन, हॉल्ट और जंक्शन की पूरी जानकारी होती है।
What Is Fog Safe Device In Railways, क्या होता है रेलवे फॉग सेव डिवाइस
रेलवे फॉग डिवाइस एक बैटरी ऑपरेटेड डिवाइस होता है। इसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है। इसमें जीपीएस की सुविधा मौजूद होती है। यह लाकोपायलट खतरनाक जोन से आगाह करता है। साथ ही आगे आने वाले सिग्नल, क्रॉसिंग की जानकारी देता है। इस डिवाइस से ट्रेन हादसों में काफी कमी आई है। कोहरे के दौरान यह ट्रेन का परिचालन करने में काफी सहायक है। इस डिवाइस में एक चिप लगा होता है, जिसमें रेलवे के संबंधित रूट की पूरा जानकारी इंस्टॉल होती है।How To Work Fog Safe Device, कैसे काम करता है रेलवे फॉग सेव डिवाइस
रेलवे फॉग डिवाइस में एक चिप लगा होता है, जिसमें संबंधित रेलवे के रूट, सिग्नल और क्रॉसिंग की पूरी जानकारी होती है। इंजन के आगे एक एंटीना लगाया जाता है, जो डिवाइस से कनेक्ट होता है। इसके जरिए आगे पड़ने वाले सिग्नल या लाइन की जानकारी मिलती है। यह डिवाइस लोकोपायलट को 3 किलोमीटर पहले आगे आने वाले सिग्नल की जानकारी देता है। साथ ही सिग्नल से 500 मीटर पहले मैसेज देना शुरू कर देता है।जिससे ड्राइवर इसकी स्पीड तेज धीरे कर सकते हैं। ट्रेन का परिचालन सिग्नल के जरिए ही किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि आगे पटरी पर कोई हादसा हो गया है या फिर लाइन पर कोई अवरोध है तो इसकी जानकारी लोकोपायलट को इस डिवाइस के जरिए मिल जाती है। इससे धुंध व कोहरे में भी ट्रेन की गति में कमी नहीं आती है।
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आदित्य सिंह author
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और शिक्षा से जुड़े मुद्दों में विशेष रुचि। साथ ही हेल्...और देखें
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