सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा अब ज्यादा फायदा, NPS पर सरकार का बड़ा फैसला
पेंशन निधि नियामक PFRDA ने कहा है कि अब NPS के टियर-2 में डिफॉल्ट योजना का ऑप्शन मिलेगा। इससे कर्मचारी निवेश के लिए अब पेंशन फंड मैनेजर (PFM) और फीसदी में रिटर्न का दायरा चुन सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS को साल 2004 में शुरू किया गया था।
NPS Tier 2 Default Scheme: सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम में बड़ा बदलाव हुआ है। पेंशन निधि नियामक PFRDA ने कहा है कि अब NPS के टियर-2 में डिफॉल्ट योजना का ऑप्शन मिलेगा। इससे कर्मचारी निवेश के लिए अब पेंशन फंड मैनेजर (PFM) और फीसदी में रिटर्न का दायरा चुन सकते हैं। इस ऑप्शन के मिल जाने के बाद टियर-2 में निवेश पर जोखिम कम होगा और मुनाफे के लिए अधिक अवसर मिलेंगे। PFRDA ने सर्कुलर जारी कर बताया कि अकाउंट होल्डर के चुने विकल्प के अनुसार ही फंड मैनैजर उनके फंड का निवेश करेंगे। डिफॉल्ट फंड को मैनेज करने का जिम्मा तीन पेंशन फंड मैनेजरों को सौंपा गया है।
डिफॉल्ट का ऑप्शन
NPS के टियर-2 में इक्विटी, कॉरपोरेट लोन और सरकारी लोन जैसे विकल्प भी टियर-2 में पहले से ही उपलब्ध हैं। डिफॉल्ट योजना के ऑप्शन मिलने के बाद टियर-2 में निवेश करने वालों को क्या फायदा मिलेगा, इसे समझ लेते हैं। डिफॉल्ट योजना का ऑप्शन अभी तक टियर-1 अकाउंट में उपलब्ध था। इसमें कर्मचारियों के फंड का मैनजमेंट PFRDA के PFM की ओर से किया जाता था। जबकि टियर-2 में फंड का प्रबंधन खुद कर्मचारियों की ही करना पड़ता था।
कर्मचारियों को कैसे होगा फायदा?
नए नियम के लागू होने के बाद ऐसे कर्मचारी जिन्हे वित्तीय निवेश की अच्छी समझ नहीं है, वो भी टियर-2 खाते में निवेश कर पाएंगे। क्योंकि उनके फंड का प्रबंधन फंड मैनेजर द्वारा किया जाएगा। इससे निवेश पर जोखिम कम होगा और कर्मचारियों को अधिक रिटर्न मिल सकेगा। इसके अलावा कर्मचारी अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं। NPS में दो तरह के खाते टियर-1 और टियर-2 खोलने का विकल्प मिलता है। टियर-1 अकाउंट पेंशन और टियर-2 अकाउंट स्वैच्छिक सेविंग अकाउंट की तरह होता है।
कब हुई थी शुरुआत?
सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS को साल 2004 में शुरू किया गया था। इसके बाद साल 2009 में NPS को निजी क्षेत्र के लिए ओपन किया गया। इस स्कीम में निवेश की जिम्मेदारी PFRDA की ओर से रजिस्टर्ड फंड मैनेजर्स को दिया जाता है। फंड मैनजर्स रकम को इक्विटी, बॉन्ड मार्केट और अन्य जगहों पर निवेश करते हैं।
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