NPS vs EPF vs PPF: रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कौन सी स्कीम है सबसे बेस्ट, जानें-तीनों में क्या है अंतर

NPS vs EPF vs PPF: अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए लोग अलग-अलग सेविंग स्कीम्स में निवेश करते हैं। रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए देश में तीन स्कीम्स लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं, जिनमें लोगों ने निवेश किया है। हालांकि, तीनों स्कीम्स एक दूसरे अलग हैं।

Retirement Planning Schemes

(Image Source: Canva)

NPS vs EPF vs PPF: नौकरी के दौरान लोग अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग करने लगते हैं। इसके लिए वो अलग-अलग सेविंग स्कीम में निवेश करते हैं। देश में अलग-अलग बेनिफिट वाली तीन पॉपुलर स्कीम्स हैं, जिनमें लोगों ने निवेश किया है। ये लोकप्रिय स्कीम्स पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) हैं। इनमें से कौन सी स्कीम आपके लिए मुफीद बैठती है, ये आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। इन तीन सेविंग स्कीम्स में मूल रूप से क्या अंतर है, आइए समझ लेते हैं।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक लॉन्ग टर्म निवेश स्कीम है। इस स्कीम में निवेश कर आप न सिर्फ अपने फ्यूचर के लिए फंड जमा कर सकते हैं, बल्कि इनकम टैक्स भी बचा सकते हैं। PPF में निवेशकों को जमा राशि पर ब्याज मिलता है और इस ब्याज की इनकम पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस स्कीम में निवेश की रकम इसलिए सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि निवेश की गारंटी सरकार लेती है।

इनकम टैक्स छूट

इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत पीपीएफ में निवेश करके आप सालाना अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक के डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं। इस स्कीम में आप सिर्फ 500 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) EPF का प्रबंधन करता है। EPF में कंपनी और कर्मचारी EPF खाते में मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी योगदान करते हैं। EPFO ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ब्याज दर की घोषणा की है, इसे 8.25 फीसदी निर्धारित किया है। सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए EPF अनिवार्य है। यह टैक्स बेनिफिट और नियोक्ता कंट्रीब्यूशन के साथ निश्चित रिटर्न प्रदान करती है।

नेशनल पेंशन सिस्टम

NPS सरकार की स्पॉन्सर वाली पेंशन स्कीम है। इसे रिटायरमेंट के बाद के इनकम के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें निवेश के लिए दो ऑप्शन अकाउंट मिलते हैं। पहला अकाउंट टियर-1 है और दूसरा टियर-2 अकाउंट है। टियर-1 को मुख्य रिटायरमेंट अकाउंट कहा जाता है। इस अकाउंट से रिटायरमेंट से पहले कुछ शर्तों के साथ आप पैसे की निकासी कर सकते हैं। पैसे की निकासी के लिए निवेश की अवधि तीन साल पूरी होनी चाहिए। इसके अलावा निवेश की राशि का 25 फीसदी हिस्सा ही आप निकाल सकते हैं। टियर-2 अकाउंट से किसी भी तरह की निकासी नहीं की जा सकती है।

बेहतर विकल्प

हालांकि, पीपीएफ और ईपीएफ स्थिरता और गारंटीड रिटर्न प्रदान करते हैं। लेकिन नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) अपने इक्विटी एक्सपोजर के कारण अपने संभावित हाई रिटर्न के लिए अलग है। जानकारों के अनुसार, एनपीएस ने अन्य एसेट क्लास को पीछे छोड़ा है। इसलिए एनपीएस एक बड़ा रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए एक मजबूत विकल्प है। रिटायरमेंट की तैयारी करते समय इक्विटी जोखिम को धीरे-धीरे कम करने के कारण इसकी अपील और भी बढ़ गई है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड
नेशनल पेंशन सिस्टमकर्मचारी भविष्य निधि वित्त मंत्रालय विभाग मैनेज करता हैPFRDA मैनेज करता हैEPFO मैनेज करता हैमैच्योरिटी अवधि निवेश से 15 साल मैच्योरिटी अवधि 60 सालमैच्योरिटी अवधि निवशेक की उम्र जब 58 साल हो जाए टैक्स बेनिफिट मिलता हैहाई रिटर्न हर साल तय होती है ब्याज दरनोट: किसी भी फंड या स्कीम में निवेश करने से पहले एक्सपर्ट से वित्तीय सलाह जरूर लें।

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Rohit Ojha author

रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें

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