Insurance Companies: बीमा कंपनियों का पेमेंट करीब 6000 करोड़ रुपये घटा, कोविड में किया था इतना भुगतान
Insurance Companies: कोविड-19 वैश्विक महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2021-22 में बीमा कंपनियों ने डेथ क्लेम के रूप में 60,821.86 करोड़ रुपये का भुगतान किया। निजी बीमा कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 2022-23 में 98.02 प्रतिशत था, जबकि पिछले वर्ष 2021-22 में यह 98.11 प्रतिशत था।
Private Sector General Insurance Companies
Insurance Companies: कोविड-19 ग्लोबल महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में डेथ क्लेम की कम संख्या के कारण 2022-23 में जीवन बीमा कंपनियों द्वारा किए गए भुगतान में करीब 6,000 करोड़ रुपये की कमी आई है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जीवन बीमा उद्योग ने वित्त वर्ष 2021-22 में 5.02 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2022-23 में कुल 4.96 लाख करोड़ रुपये का कुल भुगतान किया।
डेथ क्लेम के रूप में भुगतान
कोविड-19 वैश्विक महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2021-22 में बीमा कंपनियों ने डेथ क्लेम के रूप में 60,821.86 करोड़ रुपये का भुगतान किया। 2022-23 में यह 19,000 करोड़ रुपये घटकर 41,457 करोड़ रुपये रह गया। सरेंडर/निकासी के कारण 2022-23 में बीमा कंपनियों द्वारा भुगतान किया गया लाभ 25.62 प्रतिशत बढ़कर 1.98 लाख करोड़ हो गया, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सोदारी 56.27 प्रतिशत रही।
भुगतान की राशि
कुल सरेंडर लाभ वितरण में से यूलिप (यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं) का लाभ निजी बीमाकर्ताओं के लिए 62.51 प्रतिशत और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए 1.56 प्रतिशत था। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, व्यक्तिगत जीवन बीमा व्यवसाय के मामले में 2022-23 में कुल 10.76 लाख मृत्यु दावों में से जीवन बीमा कंपनियों ने 10.60 लाख डेथ क्लेम का भुगतान किया, जिसकी कुल लाभ राशि 28,611 करोड़ रुपये थी।
कितने पेंडिंग हैं क्लेम
1,026 करोड़ रुपये की राशि के किसी न किसी वजह से अस्वीकार क्लेम की संख्या 10,822 थी। 24 करोड़ रुपये की राशि के 4,340 दावे खारिज किए गए। वर्ष के अंत में 350 करोड़ रुपये के 833 लंबित क्लेम थे। निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों का क्लेम निपटान रेश्यो 31 मार्च, 2023 तक 98.52 प्रतिशत रहा, जबकि 31 मार्च, 2022 को यह 98.74 प्रतिशत था।
निजी बीमा कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 2022-23 में 98.02 प्रतिशत था, जबकि पिछले वर्ष 2021-22 में यह 98.11 प्रतिशत था। उद्योग का कुल निपटान रेश्यो 2021-22 में 98.64 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 98.45 प्रतिशत हो गया।
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