पौष्टिक गुणों से युक्त हैं दालें, पांच तथ्य जो आपके लिए जानना है बेहद जरूरी

Pulses: नाइट्रोजन को समाहित कर लेने की क्षमता से दालें पोषण तत्वों के भंडार होते हैं खासतौर पर इनमें प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा होती और वसा सीमित मात्रा में होती है। लेकिन लेग्यूम और दालों का यही एकमात्र रोचक पहलु नहीं है। विश्व दाल दिवस 2023 के उपलक्ष्य में मैं दालों की पांच खास विशेषता और कहानियों का उल्लेख करना चाहती हूं।

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Pulses: कई लोगों को संभवत: ये बात अचंभे में डाल सकती है, लेकिन हर साल 10 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र ‘विश्व दाल दिवस’ के तौर पर मनाता है। अनुसंधानकर्ता फलियों पर अब ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिन्हें भुला दिया गया या जिनका बहुत कम उपयोग किया गया। मेरा मानना है कि यह खाद्य सुरक्षा की दिशा में अहम कदम है। अगर अधिक से अधिक दालों का सेवन करें तो इससे संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास के दूसरे लक्ष्य ‘शून्य भूख’ को हासिल करने में मदद मिल सकती है।

सबसे पहले स्पष्टता के लिए बता दूं कि ‘फलियों’ और ‘दालों’ का अलग-अलग अर्थ हैं। ‘फलियां’ लेग्यूमिनोसी या फेबिका परिवार के पौधे हैं जबकि ‘दालें’ लेग्यूम पौधे के सूखें हुए बीज हैं। इनमें बीन्स, दाल और चने शामिल हैं। दुनिया से भूख मिटाने में लेग्यूम पौधे सहायक होने का एक कारण है कि इन्हें उर्वरक भूमि या नाइट्रोजन खाद की जरूरत नहीं होती है। पौधों को अहम मॉल्यूकूल जैसे प्रोटीन या डीएनए बनाने के लिए नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।

अधिकतर लेग्यूम प्रजाति के पौधें अपनी जरूरत का नाइट्रोजन वायुमंडल से लेकर कम पोषण युक्त जमीन में भी फल-फूल सकते हैं। यह प्रक्रिया पौधे और राइजोबिया नामक बैक्टीरिया के आपसी लाभप्रद (सिम्बायोटिक) संबंध पर आधारित होता है। राइजोबिया बैक्टीरिया को लेग्यूम पौधों की जड़ों में बने गांठ में आश्रय मिल जाता है और इसके बदले वे पौधे की नाइट्रोजन आवश्यक वायमुंडल से लेकर पूरी कर देते हैं।

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