RBI Cheque Clearance: अब फटाफट क्लीयर होगा चेक, दिन नहीं कुछ घंटों में आ जाएगा पैसा
RBI Cheque Clearance: मैजूदा समय में चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) दो वर्किंग डे की क्लीयर सायकिल के साथ चेक को प्रोसस करता है। आरबीआई के गवर्नर ने आगे कहा कि इस उपाय का उद्देश्य ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाना है। लगातार नौवीं बार पॉलिसी रेट रेपो में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

अब फटाफट क्लीयर होगा चेक
RBI Cheque Clearance: बैंकों में अब चेक जल्दी क्लीयर होगा। इसको लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़ा ऐलान किया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली मॉनिटरी पॉलिसी समिति (MPC) ने चेक के निपटान का काम कुछ घंटों में पूरा करने के लिए कई उपाय का प्रस्ताव किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC की बैठक के बाद नतीजों के ऐलान के दौरान यह बात कही है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि चेक को कुछ ही घंटों में स्कैन किया जाएगा, प्रजेंट किया जाएगा और पास किया जाएगा। यह काम बिजनेस हावर दौरान निरंतर आधार पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चेक क्लीयर करने की सायकिल मौजूदा टी+1 दिनों से घटकर कुछ घंटों का रह जाएगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।
अभी कितना समय लगता है
मैजूदा समय में चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) दो वर्किंग डे की क्लीयर सायकिल के साथ चेक को प्रोसस करता है। नए नियम लागू होने के बाद यह समय कम होकर सिर्फ कुछ घंटों का रह जाएगा। यानी चेक के जरिए पैसा अब आपके खाते में जल्दी क्रेडिट होगा। केंद्रीय बैंक के इस कदम का उद्देश्य चेक क्लीयर सायकिल की एफिशिएंसी में सुधार करना और ग्राहकों के लिए निपटान रिस्क को कम करना है।
ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने का उद्देश्य
आरबीआई के गवर्नर ने आगे कहा कि इस उपाय का उद्देश्य ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाना है। दास ने कहा कि बैच प्रोसेसिंग के मौजूदा दृष्टिकोण से CTS को 'ऑन-रियलाइजेशन-सेटलमेंट' के साथ निरंतर चेक क्लीयर करने में बदलने का प्रस्ताव है।
रेपो रेट में बदलाव नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार नौवीं बार पॉलिसी रेट रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने के निर्णय के पक्ष में मत दिया।
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