घर खरीदते समय बिल्डर देते हैं ये झांसे,जान लें उनकी हकीकत,नहीं खाएंगे धोखा
Real Estate Developers Gimmicks and Realty: बिल्डर जिस पार्किंग फ्री एरिया की बात करते हैं, वह वास्तव में पहले से ही फ्री होता है। और वह कॉमन एरिया होता है। RERA के नियमों के अनुसार पार्किंग स्पेस वह एरिया होता है, जिसमें तीन तरफ से दीवार, छत और एक शटर लगा हो।
घर खरीदते समय रखें इनका ध्यान
Real Estate Developers Gimmicks and Realty:प्रॉपर्टी बाजार में ग्राहकों को लुभाने के लिए ऑफर्स का बाजार गरम है। बिल्डर ग्राहकों को कई ऐसे ऑफर की पेशकश करते हैं, जो पहली नजर में ही लुभा देते हैं। जिसमें मुफ्त में अप्लायंसेज से लेकर फ्री पार्किंग एरिया, EMI की नो टेंशन जैसे कई ऑफर्स की भरमार होती है। लेकिन इन ऑफर्स की क्या हकीकत है और उसके लेकर RERA कानून क्या कहता है। यह जानना बेहद जरुरी है। नहीं तो आप बिल्डर्स के झांसे में आकर बड़ा नुकसान करा सकते हैं..
1.मिलेगा फ्री पार्किंग एरिया
असल में बिल्डर जिस फ्री पार्किंग एरिया की बात करते हैं, वह वास्तव में पहले से ही फ्री होता है। और वह एक कॉमन एरिया होता है। ईटी के अनुसार RERA नियम में पार्किंग स्पेस वह एरिया होता है, जिसमें तीन तरफ से दीवार, छत और एक शटर लगा हो। आम तौर पर बिल्डर हाई राइज बिल्डिंग में ओपेन एरिया देते हैं। जो Low FAR में आता है। जिसका असर बाद में कम ओपेन एरिया के रुप में भी दिखता है।ऐसे में फ्री पार्किंग एरिया की बात आमतौर पर झांसा होती है।
2. फ्री में एसी, टीवी
इसके अलावा बिल्डर ग्राहकों को लुभाने के लिए क्लब हाउस फीस में छूट, स्टॉम्प ड्यूटी में छूट आदि का ऑफर देती हैं। इसके अलावा ग्राहकों को एसी, टीवी, फ्रिज फ्री में देने के ऑफर देते हैं। लेकिन हकीकत इससे अलग है। क्योंकि वह जब घर की कीमत तय करते हैं, तो इन चीजों की कीमत भी शामिल कर लेते हैं। और आपको फ्री में देने का लुभावना ऑफर देते हैं। इसके अलावा कई बार पजेशन के समय बिल्डर एसी,टीवी जैसे फ्री ऑफर से मुकर जाते हैं। और उसके बदले में कुछ अमाउंट देने की बात करते हैं। जो कि बेहद कम होता है।
3.कम डाउन पेमेंट में घर
बिल्डर ग्राहकों की कैश की कमी की मजबूरी को देखते हुए 5 फीसदी डाउन पेमेंट पर घर देने का भी ऑफर देते हैं। इसके तहत यह कहा जाता है कि आप केवल 5 फीसदी डाउन पेमेंट कर घर बुक कर सकते हैं और पजेशन के बाद ईएमआई शुरु होगी। लेकिन इसमें भी पेंच होता है। असल में इसके तहत एक तय अवधि में बिल्डर को पजेशन देना होता है। ऐसे में इस तरह का ऑफर लेने से पहले इस बात की जांच कर लेनी चाहिए कि अगर प्रोजेक्ट लेट होता है तो उस वक्त क्या ईएमआई पर राहत रहेगी या फिर पजेशन से पहले ही ईएमआई देनी पड़ेगी।
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