निर्यातकों की मांग, चावल के एक्सपोर्ट पर लगे 80 डॉलर प्रति टन का शुल्क
सरकार ने शुक्रवार को उसना चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क अगले साल 24 मार्च तक बढ़ा दिया था। चावल का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ये निर्यात प्रतिबंध लगाए गए हैं। गैर-बासमती चावल निर्यात मूल्य 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

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चावल निर्यातकों ने व्यापार को सुचारू बनाने के लिए केंद्र से उसना चावल के लिए मौजूदा 20 प्रतिशत शुल्क के बजाय एक निश्चित 80 डॉलर प्रति टन का निर्यात शुल्क लगाने का अनुरोध किया है। चावल निर्यातकों के शीर्ष निकाय के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। भारतीय चावल निर्यातक संघ (आईआरईएफ) ने सरकार से सफेद चावल पर जुलाई में लगाए गए निर्यात प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने और निर्यात मात्रा और किसानों दोनों पर नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को घटाकर 850 डॉलर प्रति टन करने का भी आग्रह किया है।
चावल के निर्यात पर शुल्क
सरकार ने शुक्रवार को उसना चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क अगले साल 24 मार्च तक बढ़ा दिया था। आईआरईएफ के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने पीटीआई-भाषा को बताया, “हम सरकार से 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क के स्थान पर 80 डॉलर प्रति टन का निश्चित निर्यात शुल्क लगाने का अनुरोध करते हैं। इससे चावल व्यापार में अस्पष्टता और बिलिंग संबंधी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि संघ सफेद चावल पर लगे प्रतिबंध पर पुनर्विचार के लिए सरकार से बातचीत चाहता है।
न्यूनतम निर्यात मूल्य
आईआरईएफ को यह भी उम्मीद है कि सरकार बासमती चावल के लिए एक अधिसूचना जारी करेगी जिसमें वर्तमान दर 1,200 डॉलर प्रति टन के बजाय 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य प्रस्तावित किया जाएगा। भारत से वार्षिक गैर-बासमती चावल निर्यात मूल्य 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
क्यों लगाए गए हैं प्रतिबंध?
चावल का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ये निर्यात प्रतिबंध लगाए गए हैं। गर्ग ने कहा कि निर्यात प्रतिबंधों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे पाकिस्तान और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को फायदा हुआ है। आईआरईएफ के महानिदेशक संजीव आहूजा ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक का कुल चावल निर्यात में लगभग 46 प्रतिशत हिस्सा है, जो सालाना लगभग 22 मिलियन टन है।
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