100,200, लाख नहीं अकाउंट में पहुंच गए 9000 करोड़,जानें कहां होती है गलती और कौन करता है चूक
Tamil Nadu Taxi Driver Get 9000 Cr In His Account: आजकल बड़े पैमाने पर बल्क ट्रांजैक्शन होते हैं। कई बार लाखों लोगों को एक साथ पैसा भेजा जाता है। ऐसे में एक साथ हजारों करोड़ रुपये की रकम ऑनलाइन ट्रांसफर होती है। ऐसे में रकम गलती से आने के बाद बैंक कस्टमर की यह जिम्मेदारी है कि वह तुरंत बैंक को सूचना दे। क्योंकि अगर वह रकम को खर्च करेगा तो बाद में उसी से भरपाई होगी।
बैंक ग्राहक तुरंत करे ये काम
Tamil Nadu Taxi Driver Get 9000 Cr In His Account: आज फिर बैंक अकाउंट में गलती से पैसे पहुंचने की खबर आई है। खबर तमिलनाडु से है, जहां एक टैक्सी ड्राइवर के खाते में एक-दो लाख नहीं बल्कि 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम गलती से जमा हो गई। ऐसा नहीं है कि इस तरह के गलत ट्रांजैक्शन पहली बार हुए हैं, अक्सर इस तरह की खबरें आती रहती हैं कि लोगों के अकाउंट में गलती से पैसे पहुंच गए। साल 2021 में बिहार में दो युवकों के खाते में 900 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा हो गई थी। सवाल उठता है कि ऐसा कैसे होता है। वह भी कोई छोटी-मोटी रकम नहीं बल्कि 9000 करोड़ रुपये गलती से ट्रांसफर हो जा रहे हैं। ऐसे में रकम गलती से आने के बाद बैंक कस्टमर की यह जिम्मेदारी है कि वह तुरंत बैंक को सूचना दे। क्योंकि अगर वह रकम को खर्च करेगा तो बाद में उसी से भरपाई होगी।
इतनी बड़ी रकम कब होती है ट्रांसफर
आजकल बड़े पैमाने पर बल्क ट्रांजैक्शन होते हैं। कई बार लाखों लोगों को एक साथ पैसा भेजा जाता है। ऐसे में एक साथ हजारों करोड़ रुपये की रकम ऑनलाइन ट्रांसफर होती है। आम तौर पर ऐसे ट्रांसफर सब्सिडी की रकम या दूसरी कल्याणकारी योजनाओं के लिए होते हैं। इस तरह की योजनाओं के लाभार्थी लाखों में होते हैं। ऐसे में संबंधित विभाग एक डिजिटल फाइल बना कर बैंक को भेज देते हैं। जिसमें लाभार्थियों के बैंक खाते, नाम सब्सिडी की राशि आदि सभी जरूरी जानकारियां मौजूद रहती हैं। और बैंक उस फाइल को एक साथ ट्रांजैक्शन के लिए जारी कर देते हैं। क्योंकि उनके लिए एक-एक अकाउंट की डिटेल चेक करना संभव नहीं होता है।
और यह सारी प्रक्रिया ऑटोमेटिक होती है। इसमें कई बार फाइल करप्ट हो जाती है। ऐसे में टोटल अमाउंट तो सही रहेगा। लेकिन इसमें अकाउंट के आधार पर पैसा ट्रांसफर होना गड़बड़ हो जाता है। मसलन अगर किसी के अकाउंट में 1000 रुपये जाने थे तो हो सकता है वहां 1000000 जमा हो जाएं। करप्ट फाइल कुछ भी कर सकती है। ऐसा गलतियां बहुत कम होती है। लेकिन जब होती है तो इसी तरह के बड़े अमाउंट के मामले सामने आते हैं। इसलिए सेफ्टी के तरीके अपनाने चाहिए। क्योंकि फाइल करप्ट हो सकती है यह विभाग को भी पता होता है और बैंक को भी पता होता है। इसलिए एक इंटरनल वैरिफिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें टेक्नोलॉजी के जरिए संदेहास्पद या यू कहें कि अजूबा ट्रांजैक्शन पर बैंक को अलर्ट मिल जाएगा। और एक अलग फाइल बन जाएगी। और संदेहास्पद ट्रांजैक्शन का पहले से ही वैरिफिकेशन किया जा सकेगा।
फैटी फिंगर ट्रांजैक्शन
इस तरह की गलतियां स्टॉक और कमोडिटी ट्रेडिंग में कई बार हो जाती है। वहां पर बड़ी राशि वाले लेन-देने काफी होते हैं। और बहुत तेज होते हैं। ऐसे में कई बार कंप्यूटर पर डाटा फीड करने वाले की अंगुलियां गलत राशि फीड कर देती है। इसलिए इस तरह के ट्रांजैक्शन को फैटी फिंगर कहा जाता है। इसमें कई बार 10000 की जगह 100000 भी फीड हो सकता है। मसलन कंप्यूटर की की-बोर्ड में बगल के बटन गलती से दब जाते हैं। और अगर ट्रेडिंग में एक बार बल्क शेयर या कमोडिटी ट्रांसफर हुई तो फिर उसके आधार पर रकम निकल जाएगी।
नाम नहीं नंबर अहम
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में जो सिस्टम होता है। उसमें बैंक अकाउंट नंबर, खाता धारक का नाम, आईएफएससी कोड फीड होते हैं। इसमें ऑनलाइन ट्रांजैक्शन न्यूमेरिक वैल्यू पर ज्यादा जोर देता है। ऐसे में अगर खाता धारक के नाम की स्पेलिंग गलत हैं तो उसे बैंक तरजीह नहीं देता हैं। क्योंकि अकाउंट क्लीयरिंग सिस्टम इस तरह से बनाया गया है जिसमें बैंक, अकाउंट नंबर और आईएफएसी कोड का वैरिफिकेशन किया जाता है।
बैंक और कस्टमर की गलती
कई बार बैंक कस्टमर ही गलती से अकाउंट नंबर और दूसरी जानकारियां गलत भर या फीड कर देते हैं। ऐसी स्थिति में गलत ट्रांजैक्शन हो जाते हैं। इसके अलावा कई बार बैंकर भी पैसे ट्रांसफर करते समय अकाउंट नंबर या पैसे की राशि गलत फीड कर देता है। जिसकी वजह से ज्यादा पैसा चला जाता है। या फिर गलत खाता धारक के पास पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। इन मामलों से साफ है कि टेक्नोलॉजी जब गलती करती है तो बड़ी चोट लगती है।
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