भारत में कब चली थी पहली AC ट्रेन, इस जुगाड़ से ठंड किए जाते थे कोच

भारत में पहली ट्रेन बरतानिया हुकूमत के दौर में चली थी। फ्रंटियर मेल में तब ब्रिटिश अधिकारी सफर किया करते थे और इस ट्रेन की टाइमिंग की भी खूब चर्चे थे। कहा जाता है कि एक बार फ्रंटियर मेल 15 मिनट लेट हो गई थी, तो अधिकारियों ने जांच के आदेश दे दिए थे।

First AC Train, First Indian AC Train, एसी ट्रेन, पहली एसी ट्रेन

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आज के दौर में एसी कोच में सफर बेहद सामान्य बात हो गई है। लगभग हर पैसेंजर ट्रेन में एसी के डिब्बे जुड़े ही होते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि देश में पहली बार किस ट्रेन में एसी कोच का इस्तेमाल किया गया था। भारत में पहली ट्रेन बरतानिया हुकूमत के दौर में चली थी। तारीख थी 1 सितंबर 1928 और ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था। हालांकि, बाद में इस ट्रेन का नाम बदलकर गोल्डन टेंपल मेल कर दिया गया। हालांकि, पहली बार साल 1934 में इस ट्रेन में एसी कोच जोड़े गए थे।

बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल

भारत की आजादी से पहले चलने वाली फ्रंटियर मेल के एसी कोच को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था। एसी कोच के नीचे के बॉक्स में बर्फ की सिल्लियों रखा जाता था। इसके बाद वहां पंखा लगाया जाता था और इसकी मदद से ही एसी कोच को ठंडा किया जाता था। चूंकि बर्फ पिघल जाती थी, इसलिए स्टेशनों पर बर्फ की सिल्लियों को बदला जाता था। फर्स्ट क्लास कोच को कुछ खास तरीके डिजाइन किया जाता था।

सबसे तेज चलने वाली ट्रेन

फ्रंटियर मेल में तब ब्रिटिश अधिकारी सफर किया करते थे और इस ट्रेन की टाइमिंग की भी खूब चर्चे थे। कहा जाता है कि एक बार फ्रंटियर मेल 15 मिनट लेट हो गई थी, तो अधिकारियों ने जांच के आदेश दे दिए थे। उस दौर में इसे देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन माना जाता था। इस ट्रेन के जरिए ही लोग टेलीग्राम भेजा करते थे और इसमें भोजन की भी व्यवस्था की गई थी।

बदल दिया गया नाम

साल 1947 में जब देश आजाद हुआ, तो यह ट्रेन मुंबई और अमृतसर के बीच चलाई जाने लगी। उससे पहले लाहौर से मुंबई सेंट्रल के बीच चलती थी। आजादी के बाद लंबे समय तक यह ट्रेन फ्रंटियर मेल के नाम से चलती रही। फिर साल 1996 में इसका नाम बदलकर गोल्‍डन टेंपल मेल कर दिया गया। शुरुआत में इस ट्रेन में सिर्फ 6 ही डिब्बे लगे होते थे। बाद में इसमें और डिब्बे जोड़े गए।

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