अब 40 लाख रुपये से कम के मकान नहीं बेचना चाहते हैं बिल्डर, सस्ते घरों की हिस्सेदारी में बड़ी गिरावट

माना जा रहा है कि बिल्डर अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए लक्जरी आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। । एनारॉक ने कहा कि यह पिछले पांच साल में लक्जरी मकानों की आपूर्ति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लक्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।

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बिल्डर अब 40 लाख रुपये या इससे कम कीमत के मकानों की पेशकश में कमी ला रहे हैं। एनारॉक की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के सात प्रमुख शहरों में नए घरों की पेशकश में सस्ते या किफायती मकानों का हिस्सा घटकर मात्र 18 प्रतिशत रह गया है। जुलाई-सितंबर 2018 में कुल नए मकानों की पेशकश में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत थी। एनारॉक के सात प्रमुख शहरों पर आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर 2023 के दौरान नए घरों की कुल आपूर्ति 1,16,220 इकाई रही। इसमें सस्ते या किफायती घरों का हिस्सा 20,920 इकाई या 18 प्रतिशत रहा।

सस्ते घरों की हिस्सेदारी

जुलाई-सितंबर 2018 में नए घरों की कुल आपूर्ति 52,120 इकाई थी, जिनमें से 21,900 (42 प्रतिशत) किफायती घर थे। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में नई आपूर्ति में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 41 प्रतिशत थी, जो 2021 की तीसरी तिमाही में घटकर 24 प्रतिशत रह गई। एनारॉक की रिपोर्ट में सात शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे के आंकड़ों को शामिल किया गया है।

अधिक मुनाफा कमाने पर फोकस

माना जा रहा है कि बिल्डर अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए लक्जरी आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सस्ते मकानों में मुनाफे का मार्जिन भी कम रहता है। इसके अलावा जमीन की ऊंची लागत की वजह से आज किफायती आवासीय परियोजनाएं बिल्डरों के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह गई हैं। एनारॉक ने कहा कि जहां कुल नई आपूर्ति में किफायती घरों की हिस्सेदारी कम हो रही है, वहीं 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लक्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। वास्तव में पिछले पांच साल में यह तीन गुना हो गई है।

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