Train Accident: क्या 'कवच' से टल सकता था बालासोर रेल हादसा? यहां जानिए कैसे काम करती है ये तकनीक
Train Accident: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 4 मार्च, 2022 को भारतीय रेल के 'कवच' की टेस्टिंग में खुद शामिल हुए थे। रेल मंत्री ने एक वीडियो पोस्ट की थी, जिसमें आमने-सामने से पूरी रफ्तार के साथ आ रही 2 ट्रेनें बिना ब्रेक लगाए अपने आप रुक गई थीं।
मालगाड़ी से टक्कर के बाद बगल वाली पटरी पर पहुंच गए थे डिब्बे
Train Accident: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 4 मार्च, 2022 को भारतीय रेल के 'कवच' की टेस्टिंग में खुद शामिल हुए थे। रेल मंत्री ने एक वीडियो पोस्ट की थी, जिसमें आमने-सामने से पूरी रफ्तार के साथ आ रही 2 ट्रेनें बिना ब्रेक लगाए अपने आप रुक गई थीं। रेल मंत्रालय ने बताया था कि कवच सिस्टम से रेल हादसों पर लगाम लगेगी और यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। लेकिन शुक्रवार की शाम ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे के बाद से पूरे देश में एक बार फिर कवच सिस्टम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लोग जानना चाहते हैं कि क्या कवच सिस्टम इस बड़े हादसे को रोक सकता था?
1445 रूट किलोमीटर लाइन पर इंस्टॉल हुआ है कवच
भारतीय रेल के दक्षिण मध्य रेलवे के मुताबिक अप्रैल 2022 तक कुल 1445 रूट किलोमीटर की रेल लाइन, मुख्यतः दक्षिण भारत में कवच सिस्टम को इंस्टॉल किया गया है। लेकिन ओडिशा में जहां ये रेल हादसा हुआ, वहां कवच सिस्टम इंस्टॉल नहीं हुआ है। यहां गौर करने वाली एक बात ये भी है कि कवच सिस्टम रेल के इंजन में इंस्टॉल किए जाते हैं, जिससे आमने-सामने से आ रही ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकता है।
क्या कवच से रुक सकता था हादसा
बालासोर में जिस तरह का हादसा हुआ, वहां यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारी थी जबकि उसका इंजन आगे था। अगर इस ट्रेन में कवच सिस्टम होता, तब भी ये टक्कर नहीं रुकती। क्योंकि कवच सिर्फ उन परिस्थितियों में ही काम करता है जब आमने-सामने से आ रही दो ट्रेनों के इंजन में ये सिस्टम इंस्टॉल हो और काम कर रहा हो। बताते चलें कि कवच सिस्टम ट्रेन के पीछे भी इंस्टॉल किया जा सकता है, जिससे दो ट्रेनों के बीच आगे-पीछे की टक्कर को भी रोका जा सकता है। हालांकि, भारत में ट्रेन के पीछे कवच डिवाइस को लगाकर टेस्टिंग नहीं हुई है।
मालगाड़ी से टक्कर के बाद बगल वाली पटरी पर पहुंच गए थे डिब्बे
मालगाड़ी को टक्कर मारने के बाद यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे पटरी से उतरकर बगल वाली पटरी पर पहुंच गए थे। जिसके बाद दूसरी दिशा से आ रही शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस भी लाइन पर पड़ी यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के उतरे हुए डिब्बों से जा भिड़ी। अगर शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन में भी कवच होता तब भी ये टक्कर नहीं रुकती।
जिन रेल इंजन में और जिस रूट पर कवच इंस्टॉल होता है, वहां ये कवच से लैस इंजन वाले ट्रेनों को SPAD यानी लाल बत्ती को पार करने से भी रोकता है। लेकिन इस पूरे हादसे में ये कहा जा सकता है कि बालासोर रेल एक्सीडेंट वाले रेल रूट पर कवच सिस्टम इंस्टॉल ही नहीं था।
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मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स नाउ नवभारत में बिजनेस, यूटिलिटी और पर्सनल फाइनेंस पर...और देखें
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