क्या होता है प्रोटीन बाइंडर्स, जिसे दूध और इसके प्रोडक्ट में मिलाने की नहीं मिली अनुमति
Protein Binders in Milk: प्रोटीन बाइंडर्स के इस्तेमाल से दूध के प्रोडक्ट्स को पचाने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में दूध और दूध उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर्स जैसी किसी भी सामग्री को जोड़ने की जरूरत ही नही है। दूध और इसके प्रोडक्ट्स में ‘प्रोटीन बाइंडर्स’ मिलाने की अनुमति नहीं है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने साफ कर दिया है कि दूध और इसके प्रोडक्ट्स में ‘प्रोटीन बाइंडर्स’ मिलाने की अनुमति नहीं है। FSSAI ने कहा कि ‘बाइंडिंग एजेंट’ नए खाद्य उत्पादों, विशेष रूप से अर्ध-ठोस या ठोस खाद्य पदार्थों की एक विस्तृत श्रृंखला के निर्माण के लिए सामग्री के एक आवश्यक वर्ग के रूप में उभरे हैं। एक बयान में उसने कहा कि हालांकि, ऐसा अनुप्रयोग प्रोटीन की पाचनशक्ति को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। इस प्रकार दूध प्रोटीन के जैविक और पोषक मूल्य को प्रभावित कर सकता है।
दूध के प्रोडक्ट्स को पचाने में दिक्कत
आसान भाषा में समझें, तो प्रोटीन बाइंडर्स के इस्तेमाल से दूध के प्रोडक्ट्स को पचाने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में दूध और दूध उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर्स जैसी किसी भी सामग्री को जोड़ने की जरूरत ही नही हैं। नए फूड प्रोडक्टस में खास तौर पर सेमी- सॉलिड या सॉलिड फूड्स को तैयार करने के लिए बाइंडिंग एजेंट सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है।
अमीनो एसिड का अच्छा सोर्स
पनीर बनाने के प्रोसेस में इस तरह के पदार्थ का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन ऐसे प्रोडक्ट्स पाचन को प्रभावित कर सकते हैं। दूध प्रोटीन का जैविक मूल्य अधिक है, क्योंकि यह आवश्यक अमीनो एसिड का अच्छा सोर्स है। FSSAI ने साफ किया है कि दूध और दूध उत्पादों में केवल उन्हीं एडिटिव्स का उपयोग किया जा सकता है जो खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमन, 2011 के परिशिष्ट ए में ऐसे उत्पादों के लिए निर्दिष्ट हैं।
इसमें कहा गया है कि लगभग हर डेयरी प्रोडक्ट में अद्वितीय और अच्छी तरह से स्वीकृत बनावट और अन्य संवेदी विशेषताएं होती हैं। इसलिए, दूध और दूध उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर्स जैसी किसी भी बाध्यकारी सामग्री को जोड़ने से बनावट या संवेदी मापदंडों में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं होती है।
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