क्या होता है सर्किल रेट, जिससे एक झटके में बढ़ जाती है आपकी प्रॉपर्टी की कीमत
देश में संपत्ति और जमीन राज्य सरकारों का विषय है। शहरों में जमीन और अन्य प्रॉपर्टी के लिए एक स्टैंडर्ड रेट तय करने का जिम्मा जिला प्रशासन के पास होता है। वह जो रेट तय कर देता है, उससे कम पर जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है। क्या होता है सर्किल रेट और सरकार इसे क्यों तय करती हैं। इसे समझ लेते हैं।
आप अक्सर खबरों में पढ़ते और सुनते होंगे कि किसी राज्य सरकार ने जमीन के सर्किल रेट (Circle Rate) में इजाफा कर दिया। कई बार जब जमीन के धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं, तो पता चलता कि जमीन की बिक्री सर्किल रेट से कम पर की गई थी। कानूनी रूप से प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री बिना सर्किल रेट को आधार बनाए नहीं हो सकती है। क्योंकि सर्किल रेट को राज्य सरकारें तय करती हैं। क्या होता है सर्किल रेट और सरकार इसे क्यों तय करती हैं। इसे समझ लेते हैं।
जिला प्रशासन तय करता है रेट
देश में संपत्ति और जमीन राज्य सरकारों का विषय है। शहरों में जमीन और अन्य प्रॉपर्टी के लिए एक स्टैंडर्ड रेट तय करने का जिम्मा जिला प्रशासन के पास होता है। वह जो रेट तय कर देता है, उससे कम पर जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है। इसी रेट को सर्किल रेट कहा जाता है। हालांकि, किसी भी बड़े शहर के अलग-अलग इलाके में सर्किट रेट अलग हो सकते हैं। सरकार सर्किल रेट इसलिए तय करती है, ताकी टैक्स की चोरी को रोका जा सके।
स्टांप ड्यूटी सरकार की कमाई का जरिया
दरअसल, जमीन खरीदने के लिए रजिस्ट्रेशन के समय स्टांप ड्यूटी देनी होती है। अगर सर्किल रेट से कम पर जमीन का रजिस्ट्रेशन होता है, तो सरकार को स्टांप ड्यूटी से मिलने वाले टैक्स में नुकसान हो सकता है। स्टांप ड्यूटी एक प्रकार का सरकार का टैक्स होता है, जो टैक्स सीधे राज्य सरकार के खजाने में जाता है। सर्किल रेट किसी भी इलाके जमीन के लिए न्यूनतम रेट होते हैं। इससे रेट से ऊपर की कीमत पर जमीन की खरीद-बिक्री की जा सकती है, लेकिन उससे कम दर पर जमीन की खरीद-बिक्री कानूनी रूप से गलत मानी जाती है।
सर्किल रेट का आपकी प्रॉपर्टी की कीमत पर असर
मान लीजिए कि किसी शहर में मौजूदा सर्किल रेट 5,100 रुपये प्रति वर्ग फुट है। आपने उस शहर में एक फ्लैट खरीदा, जिसका कारपेट एरिया 1,000 वर्ग फुट है। ऐसे में उसे फ्लैट की रजिस्ट्री 51 लाख रुपये में होगी। अब इसपर राज्य सरकार स्टांप शुल्क के रूप में पांच फीसदी का शुल्क चार्ज करेगी। इस तरह स्टांप शुल्क राशि 2.55 लाख रुपये हो गई और फ्लैट की कीमत 51 लाख रुपये से बढ़कर 53.55 लाख रुपये हो गई। इस तरह सर्किल रेट आपकी प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री पर असर डालता है।
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